one line thoughts on life in hindi करवट बदलते यार की राहों में शब् भर मरे ,
करवट बदलते यार की राहों में शब् भर मरे ,
जलता है माहताब फ़लक का लब से उफ्फ तक न करे ।
यूँ नहीं की अब वो याद आता नहीं ,
बस ख़्याल ए यार से दिल कोई गीत गुनगुनाता नहीं ।
ज़मीन तो ज़मीन आसमान बिकते देखा है ,
इस शहर के बासिंदों को आसमान में उड़ते देखा है ।
गुज़रे वक़्त की तस्वीरें हैं जो आँखों से ओझल होती नहीं ,
रंग ओ बू लाख हों मद्धम ख्वाहिशें आज भी दीदा ए यार की दिल में दफ़न होती नहीं ।
बड़ी बेफ़िक्री में रहते हैं यही तो फ़िक्र है हमको ,
हमारे दिल का मक़ाम किसी गैर का मकान न हो जाए ।
ज़मीन ज़मीन को मुक़म्मल नहीं ,
आसमान आसमान को सदायें देता रहा ।
जानवर में इतनी वहसत ही नहीं है ,
शहर ए आदम में आजकल के जितनी इंसानियत भरी है ।
कहाँ से आये थे कहाँ को जाओगे ,
यूँ ही कहीं गुमनाम तो न हो जाओगे ।
हमने रखा था तुमको दिल में चिलमन से ढाँप के ,
खुशबुएँ यूँ सर ए आम बिखेरोगे बदनाम तो न हो जाओगे ।
शहर भर में इमारतें खड़ी ज़रूर हैं ,
बस ईंट गारे की चीखती दीवारें हैं और हर बुनियाद है हिली हुयी ।
हाँथ उठे हैं दुआओं में गर जाया नहीं जाता ,
बस खुदा की रहमत नज़र आती है जब कोई रहबर नज़र नहीं आता ।
खुद बा खुद वक़्त बदल देता है तस्वीर आपकी ,
रूबरू ए आईना में किसी को सजना नहीं पड़ता ।
दिल का जलता मशाल लेकर सदायें तफ्तीश को निकले ,
घनघोर अंधेरों में गुमनाम सी थी वीरानियाँ बहुत ।
वो हंस कर के कह रहे हैं कुछ लफ़्ज़ों में वजन लाइए जनाब ,
ये दर्द ए एहसास ओ तीर ए नश्तर बिना रंग ए लहू के जिगर में उतरते ही नहीं ।
ज़माने की वाह वाही में सिमट गए हैं सुख़नवर अपने ,
कारवाँ ए मोहब्बत तमाम उम्र बस यूँ ही मंज़िलों का तलबगार रहा ।
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