asli bhoot ki kahani scream of tears ,

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रात के सन्नाटे को चीरती कीड़े मकोड़ों की आवाज़ , हॉस्पिटल का चैनल गेट अपने आप खुलता है , गलियारे में किसी महिला के कराहने की आवाज़ को साफ़ सुना जा सकता है , कैमरा रौशनी में बन रहे साये को फॉलो करता हुआ आगे बढ़ रहा है , मगर चीख की सही दिशा का आंकलन नहीं कर पा रहा है ,तभी औरत के दर्द से कराहने की आवाज़ ऑपरेशन थिएटर से आती हुयी महसूस होती है , ऑपरेशन थिएटर का दरवाज़ा खुलता है , और रूम के अंदर का दृश्य अत्यंत भयावह दिखाई देता है , ऑपरेशन थिएटर के ऑपरेटिंग टेबल पर लेटा हुआ शख्स बेड से ५ फ़ीट ऊपर हवा में लटक रहा है , उसी के साथ ऑपरेशन थिएटर में मौजूद औज़ार भी हवा में उड़ रहे हैं , और अचानक से दरवाज़ा खोलने वाले शख्स पर वो औज़ार इस तरह से हमला कर देते हैं जैसे वो किसी अदृश्य शक्ति के नियंत्रण में हो , तभी नताशा की नींद एक चीख के साथ अचानक से खुल जाती है , और नताशा को महसूस होता है , की उसके दाएं हाँथ में एक पेपर पिन चुभ गयी है जो शायद भूलवश बेड पर पड़ी रह गयी थी , अपने आपको सही सलामत देख कर नताशा चैन की सांस लेती है , और कहती थैंक गॉड ये महज़ एक सपना था , और पुनः बेड पर आँख बंद करके लेट जाती है । इस भयानक सपने के बाद नताशा की आँखों से नींद गायब हो जाती है , और कुछ ही देर में सुबह हो जाती है ।

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चितरंगी मध्यप्रदेश का एक पिछड़ा इलाका जहां के मूलतः निवासी आदिवासी हैं , नताशा की पहली पोस्टिंग बतौर डॉक्टर अभी यही के कस्बे में हुयी हैं , होपितल से कुछ दूरी पर ही नताशा को सरकारी बंगलो मिला हुआ है , रात के १२ बज चुके हैं नाईट शिफ्ट में आज नताशा की ड्यूटी है , लग भग ५० मीटर का ग्राउंड है आजू बाजू पेड़ पौधों का बगीचा लगा हुआ है , हॉस्पिटल के गेट तक जाने के लिए पक्की सड़क है जिसके दोनों तरफ स्ट्रीट लाइट्स लगी हुयी हैं , गेट में वाच मैन बैठा हुआ है बॉउंड्री के गेट से नताशा की एंट्री होती है अपनी कार पार्क के बाद नताशा पैदल ही हॉस्पिटल की तरफ बढ़ती है , तभी बाजू से किसी महिला के कराहने की आवाज़ आती है , नताशा मुड़ कर देखती है और पूछती है यहां क्यों बैठी हो वो औरत कहती है पेट में बच्चा है जिसकी वजह से दर्द है , नताशा कहती है चलो आओ मेरे साथ मैं तुम्हे एडमिट करती हूँ , और वो औरत जी मैडम जी बोलती हुयी नताशा के पीछे चल देती है , नताशा जैसे ही हॉस्पटल के अंदर प्रवेश करती है , वार्ड में बैठी महिला नर्स को कहती है इस औरत का एडमिट फॉर्म भरो डिलीवरी केस है , नर्स कहती है मगर किसका एडमिट फॉर्म भरना है यहां तो कोई नहीं है , नताशा कहती है अभी तो थी पता नहीं कहाँ गयी , आती होगी देख लेना उसको , नर्स जी मैडम बोलती हुयी अपनी केबिन के अंदर चली जाती है , और इधर नताशा अपना राउंड ख़त्म करके वापस अपने क्वार्टर में चली जाती है ।

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अगला दिन आज फिर नताशा की नाईट शिफ्ट में ड्यूटी है , रात के वही १२ बज चुके हैं नताशा उसी जगह कार पार्क करके अंदर जैसे ही हॉस्पिटल के बॉउंड्री के अंदर की सड़क पर पैदल चलना सुरु करती है , ठीक उसी जगह आज फिर वही महिला कराहती हुयी बैठी है , नताशा पूछती है ,तुम वही कल वाली होना कल कहाँ चली गयी थी तुम , नाम क्या है तुम्हारा , वो औरत बताती है सुनीता , कोई साथ में नहीं है तुम्हारे औरत कहती है मर्द था मगर उसे दारु पीने से फुर्सत कहाँ मिलती है , नताशा कहती है तू चिंता मत कर आज तेरी डिलीवरी करवा देंगे , चल आ फॉर्म भर नर्स के पास चली जा , उसे नर्स के केबिन का रास्ता दिखा कर नताशा आगे बढ़ जाती है , वार्डस में चेकिंग के बाद डॉक्टर्स स्टाफ चैम्बर में पहुंच कर नताशा अपने ड्रेस और स्टेथोस्कोप टेबल में रख कर चुप चाप कुर्सी में बैठ जाती है , तभी वार्ड बॉय को आवाज़ लगाती है , और बोलती है अभी जाओ और केबिन वाली नर्स से पूछो की उस औरत का एडमिट फॉर्म भरा की नहीं दो दिन से बेचारी , पेट में बच्चा लिए घूम रही है , तभी सामने बैठे डॉक्टर साहनी पूछते हैं क्या हुआ नताशा व्हाई यू आर अपसेट एवरीथिंग इस ऑल राइट नताशा कहती है कुछ नहीं सर कैसे कैसे लापरवाह लोग है , वो औरत बेचारी बाहर बैठी दर्द से कराह रही है मगर उसे कोई एडमिट करने वाला नहीं है , तभी पास बैठे डॉक्टर अस्थाना पूछते हैं कौन औरत , नताशा कहती है वो जो हॉस्पिटल के बाहर रखे बेंच पर बैठी थी , डॉक्टर अस्थाना कहते हैं ओह तो तुम उस भूत के लिए अपसेट हो , वो कई डॉक्टर्स को दिख चुकी है , वो एक भूत है मरी हुयी औरत है वो नताशा कहती है नहीं सर उसका नाम सुनीता है , डॉक्टर अस्थाना कहते हैं अच्छा तो तुमने उसका नाम भी पूछ लिया , नताशा ने कहा हाँ सर वो साथ साथ हॉस्पिटल के गैलरी में आई थी मैंने उसे फॉर्म वाले केबिन के सामने फॉर्म भरने के लिए छोड़ा भी था , डॉक्टर अस्थाना कहते हैं चलो आओ तुम मेरे साथ , वो नताशा को फॉर्म भरने वाले केबिन के पास लेकर जाते हैं , और वहाँ बैठी नर्स से पूछते हैं क्यों सिस्टर कोई औरत आई थी क्या डिलीवरी का फॉर्म भरवाने जिसका नाम सुनीता था , वो नर्स कहती है नहीं सर , तभी हाल से वॉचमैन गुज़रता है , उससे भी अस्थाना वही सवाल पूछते हैं की क्या तुमने नताशा मैडम के साथ किसी औरत को हॉस्पिटल के अंदर दाखिल होते हुए देखा था , वॉचमैन कहता है नहीं सर मैडम जी अकेली ही आई थी , उनके साथ हॉस्पिटल में कोई नहीं दाखिल हुआ था , उन सब की बाते सुनकर नताशा हैरान हो जाती है ।

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सुबह सुबह का वक़्त है घर में नौकरानी पोंछा लगा रही है , नताशा उसको देखती है फिर पूछती है क्यों बाई तुम तो यहीं की लोकल हो न , जी मैडम जी बोलकर नौकरानी चुप हो जाती है , नताशा एक बार फिर पूछती है , ये हॉस्पिटल भुतहा है क्या ऐसा लोग कहते हैं , नौकरनी जवाब देती हैं , सब हॉस्पिटल वालों के कुकर्मो का फल है मैडम जी , नताशा एक बार फिर पूछती है सुनीता नाम की जिस औरत का भूत हॉस्पिटल में घूमता है उसके बारे में क्या जानती हो तुम , नौकरानी कहती है मुझसे मुँह मत खुलवाओ मैडम जी हस्पताल वालों ने जो किया न उसके साथ ईश्वर सपथ ऊपर वाला कभी नहीं माफ़ करेगा , इन नर पिशाच डॉक्टरों को , नताशा कहती है आखिर हुआ क्या था उसके साथ कुछ बताओगी , नौकरानी बताना सुरु करती है ।

बरसात का वक़्त रहो मैडम जी सुनीता को पति दूर गाँव से साइकिल में लाओ ते अपनी मेहरारू को , एक तो पहले से देर हो चुकी थी , हस्पताल वाले छूना तो दूर गेट के भीतर तक नहीं जाने दिए बेचारी को , बोल दिए इलाज़ नहीं होगा जूनियर डॉक्टर्स की हड़ताल है , लोकलाज को ध्यान में रखते हुए गाँव की औरतों ने वहीँ हस्पताल के गेट पर साड़ी का पर्दा लगा कर डिलीवरी करवाई सुनीता ने एक मुर्दा बेटी को जन्म दिया था जिस्म में पहले से खून की कमी थी जिसके चलते सुनीता की वहीँ मौत हो गयी , और तो और गाँव वापस ले जाने के लिए कोई साधन नहीं मिला तो सुनीता का पति क्या करता बेचारा , लाश को कमर से दो टुकड़ों में तोड़ा और साइकिल में गाँव लेके गया , कहते हैं उसके पास अंतिम संस्कार के लिए भी पैसे नहीं थे , अब जो किया हो बेचारा ऐसे हरामी डॉक्टर हैं मैडम जी इस हस्पताल के , नौकरनी की बात सुनकर नताशा की आँख भर आई मगर अफसोश प्रशासन के खिलाफ वो कुछ कर भी तो नहीं सकती थी ।

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गाँव का तालाब शाम का वक़्त सब सुनशान तभी गाँव में हल्ला मचता है , की छुट्टन की घरवाली तालाब में कूंद गई गाँव के कुछ मुस्टंडों ने तलाब में घुसकर छुट्टन की घरवाली को तालाब से बाहर निकाला कड़ाके की ठण्ड थी सबने कहा अलाव जलाओ ठण्ड से कहीं मर न जाए , अलाव की आंच में छुट्टन की घरवाली के जिस्म को गरम किया गया , मगर फिर भी उसमे जान न थी , छुट्टन अपने घरवाली की लाश को घर ले जाने लगा तभी एक सज्जन ने बोले भाई ये तो पुलिस केस हो गया है बिना पुलिस को इत्तेला किये डेड बॉडी को घर ले जाना गैर कानूनी होगा , पुलिस हेल्प लाइन नो १०० डायल किया गया , लगभग आधा घंटे बाद पुलिस वहाँ पहुंच गयी , पंचनामा की तैयारी हो रही थी , की अचानक से छुट्टन की घर वाली के मृत जिस्म में हरकत होने लगती है , सबने कहा अलाव की आग और बढ़ाओ रे मोदी को पाला मार गाओ है , ये आग की आंच सेकं से ही ठीक होवैगी । और थोड़ी देर आग सेकने के बाद छुट्टन की घरवाली लगभग होश की अवस्था में आ जाती है , सब छुट्टन की घरवाली को घर ले जाने के लिए तैयार होते हैं , तभी पुलिस कहती है , देखो गांव वालों छोरी ने आत्महत्या का प्रयास किया था सो अब ये पुलिस केस हो गया है , पहले ऍफ़. आई .आर . होगी फिर हस्पताल में मेडिकल होगा जांच में सब सही होने पर ही आप सब छोरी को ले जा सकोगे ,

और हाँ इसका पेट देख के समझ में आता है की ये छोरी पेट से है अर्थात गर्भवती है , फिर क्या था पुलिस महकमा के साथ सारे गाँव ने हस्पताल में डेरा डाल दिया , छुट्टन की बीवी की तबीयत में कुछ ख़ास सुधार समझ में नहीं आ रहा था , रात की शिफ्ट चेंज हो गयी थी छुट्टन की घरवाली अभी भी बेहोशी की हालत में स्ट्रेचर में हॉस्पिटल के ऑपरेशन थिएटर में लेटी थी , तभी नताशा राउण्ड में आती है नताशा उस स्ट्रेचर के पास से गुज़रती है तभी छुट्टन की घरवाली नताशा का हाँथ पकड़ लेतीं है , और सुनीता की आवाज़ में कहती है मैडम जी बहुत दर्द हो रहा है , कितने दिनों से मेरी आत्मा ये बोझ लिए भटक रही है , और आज आपको देख कर मुझे लगता है की आज मेरी आत्मा को मुक्ति मिल जाएगी , छुट्टन की घरवाली का ये रिएक्शन देखकर नताशा डर जाती है , उसे छुट्टन की घरवाली में सुनीता का अक्स दिखाई देता है , वो दरवाज़े की तरफ भागती है ,

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वो दरवाज़े को खोलने की कोशिश करती है , मगर दरवाज़ा नहीं खुलता है , नताशा पीछे की तरफ मुड़कर देखती है , छुट्टन की घरवाली की बॉडी हवा में उड़ रही थी उसी के साथ , ऑपरेशन थिएटर के औज़ार भी हवा में उड़ रहे थे , डर के मारे नताशा की चीख निकल जाती है , और एक तेज़ रफ़्तार के साथ औज़ार नताशा की तरफ बढ़ते हैं तभी बाहर से कोई धक्का देता है और दरवाज़ा खुल जाता है , दरवाज़ा खोलने वाला कोई और नहीं हॉस्पिटल का वार्ड बॉय था , नताशा ऑपरेशन थिएटर के बाहर निकल जाती है ,वो नताशा को सम्हालता है , और पूछता है क्या हुआ मैडम जी नताशा अपनी घबराहट छुपाते हुए कहती है कुछ नहीं और जब नताशा दुबारा मुड़कर ऑपरेशन थिएटर की तरफ देखती है तो सब व्यवस्थित दिखता है , नताशा एक बार पुनः ऑपरेशन में लग जाती है , छुट्टन की घरवाली को ऑपरेटिंग टेबल पर लिटाया जाता है , ऑपरेशन की प्रक्रिया चालू होती है , और काफी मसक्कत के बाद छुट्टन की पत्नी का ऑपरेशन सक्सेसफुल रहता है , उसे एक बेटी होती है ।

साल भर बाद नताशा का ट्रांसफर उस जगह से दूसरी जगह हो जाता है , एक दिन सुबह सुबह जब नताशा न्यूज़ पेपर पढ़ रही होती है , तभी उसकी नज़र चितरंगी के उसी हॉस्पिटल के न्यूज़ पर पड़ती है  जिसमे सुनीता का भूत भटकता है ,गैस सिलिंडर के ब्लास्ट की खबर पर पड़ती है न्यूज़ में छपा था की गैस ब्लास्ट में डॉक्टर साहनी की मौत और डॉक्टर अस्थाना की गंभीर रूप से हुए घायल नताशा की नज़रों के सामने सुनीता वाली घटना का हर मंज़र घूम जाता है , वो सारी घटना क्रम का आंकलन वहीँ बैठे बैठे लगा लेती है । और कहती है बुरे कर्म का बुरा नतीजा तो होना ही था । और अपनी ड्रेस पहनकर हॉस्पिटल के लिए निकल पड़ती है ।

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