bhayanak horror story brain eater ,

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घने जंगल के बीच झंकाड़ियों से कूदता हिरन शॉटगन पॉइंट में है बेतहाशा रफ़्तार से दौड़ती हुए जीप उसके पीछे हैं की तभी गोली चलती है और हिरण वहीँ धड़ाम से गिर जाता है ,एक शख्स जीप से उतरता है हिरण को गाडी में लादता है और जीप घने जंगल के पेड़ों के झुरमुट कहीं खो जाती है , कट टू एक सुनशान हवेली जहां रौशनी के नाम पर एक मात्र लैंप जलता हुआ दिखाई दे रहा है , दरवाज़ा खुलता है , सामने डाइनिंग टेबल पर बैठा हुआ शख्स बटर में फ्राई किये हुए कुछ मांस के टुकड़े बड़े चाव से किसी शख्स को खिला रहा है , तभी हिरण का शिकार करने वाला शख्स मांस खिला रहे शख्स को सलाम ठोकता है और हिरण को सामने रख कर चुपचाप किनारे खड़ा हो जाता है , मांस खिलाने वाला शख्स उसकी तरफ देखता है और वैरी बैड बोलता है हुआ अंगूंठा नीचे की तरफ दिखाता हुआ वहाँ से चला जाता है । गुलाम अपने आका का हुकुम पूरा न कर पाने पर बेहद शर्मिन्दा है ।

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मुंबई हावड़ा ट्रैन पटरियों पर बिंदास दौड़ी जा रही है , जिसमे ४ युवक जिनके नाम रोहित , रोहन , राजेश , और सुरेश हैं जिनकी उम्र २५ के अंदर है चारों कम्पार्टमेन्ट में धमा चौकड़ी मचा रखे हैं , वहीँ दूसरी बोगी में उनका एक दोस्त और है अजय जिसे भुसावल में उतरना है , सबके सब इंजीनिरिंग स्टूडेंट्स हैं , सभी हर तरह का नशा करने में एक्सपर्ट हैं , लास्ट सेमेस्टर का एग्जाम देने के बाद आज सभी घर लौट रहे हैं , रोहित ,रोहन, राजेश ,सुरेश कोरेक्स की एक एक सीसी पहले से ले चुके थे तभी अजय उनकी बोगी में आता है और कहता है भाई लोग अपन का स्टेशन आने वाला है रोहित बोला हाँ पता है तुझे इटारसी में उतरना है , भाई हम तो जबलपुर जायेगे , अजय कहता है रुको न यार सब लोग साथ में मेरे घर चलते हैं , तुंम सबको मैं पार्टी दूँगा , मेरे अंकल का फॉर्म हाउस है कल चिकेन बियर मेरी तरफ से रोहित रोहन राजेश सुरेश बोलते हैं बट अपने को सुट्टा भी मांगता है बॉस , अजय बोलता है गांजा न वो भी दिला दूँगा , सभी अजय के साथ उसके घर चले जाते हैं दूसरे दिन की मौज मस्ती के बाद , तीसरे दिन रोहित रोहन राजेश सुरेश अपने घर के लिए रवाना होते हैं , सबके सब नशे में इतने धुत हैं की रास्ते में चल रहे जानवरों के भी पैर छूते जा रह थे , इसी चक्कर में एक सांड ने उन्हे स्टेशन तक दौड़ा भी लिया था ।अजय के अंकल के फॉर्म हाउस का ट्रिप आनंदमय रहा सभी ने फुल एन्जॉय किया , सभी ने अजय को जबलपुर आने का इन्विटेशन दिया और अजय से विदा लिया ।

चारों दोस्त जबलपुर में अपने अपने घर चले जाते हैं , मगर सदर में उनका मिलना बंद नहीं होता है रोज़ शाम की चाय

रोहित रोहन राजेश सुरेश की साथ में ही होती है , कुछ दिन तो सभी के अच्छे गुज़रते हैं मगर कुछ दिन के बाद जब घर से पैसे मिलने कम हो जाते हैं , और कहीं जॉब नहीं मिलती है , ऊपर से घर वालों का ताना घर वालों को लगता है इनकी शनि की साढ़ेसाती चल रही है वो तरह तरह के पंडितों से विचार विमर्श में व्यस्त है, कुछ का तो कहना है की इनकी त्रयम्केश्वर ज्योतिर्लिंग में शनि की शांति करवा दी जाए मगर कहते हैं न जब वक़्त बिगड़ा हो तो अच्छे से अच्छा खिलाड़ी भी मात खा जाता है , एक शाम सभी सदर में चाय की दुकान पर मिलते हैं , चाय सिगरेट पी रहे होते हैं और रोहन कुछ सोचते हुए बोलता हैं की कॉलेज के अंदर की ज़िन्दगी में हम शहंशाह हुआ करते थे और बाहर की लाइफ ने हमें हमारी औक़ात दिखा दी , की तभी बीच में सुरेश बोलता है भाई यार अजय की बहुत याद आती है , मगर क्या करें बुलाये तो बुलाये कैसे , आएगा तो खर्चा भी लगेगा क्या ज़बरदस्त पार्टी दी थी उसने हमे अपने अंकल के फॉर्म हाउस में , रोहन बोलता है हाँ यार , उसे बुलाना चाहिए सभी पैसे मिलाओ , घर वालों से बोल देना जॉब इंटरव्यू के लिए पुणे जा रहे हैं और अपन पचमढ़ी चलते हैं , रोहित बोलता है ओके मैं अभी फोन लगाता हूँ अजय को , रोहित अजय को फोन लगाता है और भाई कैसा है तू अजय बोलता है है एकदम बिंदास रोहित फिर पूछता है काम धंधा कैसा चल रहा है , अजय बोलता है  बिंदास अपुन के अंकल का ठेके का काम है न अब अपन उन्ही के साथ उनका बिल्डिंग का काम देखता है , रोहित बोलता है तू तो साला पूरा ठेकेदार हो गया रे , अजय बोलता है हाँ भाई लोग वो क्या है न अपने को थोड़ा मुंबई स्टाइल का रंग चढ़ गेला है , और बताओ भाई लोग तुम लोगों का क्या चल रहा है यार , रोहित बोलता है कुछ नहीं यार कॉलेज बंद सब मौज मस्ती बंद , तभी पास खड़ा सुरेश बोलता है , यार बहुत याद आ रही है तेरी , तू जबलपुर आजा अपन पचमढ़ी के टूर में चलते हैं , अजय बोलता है ओके भाई लोग जैसे तुम सब की मर्ज़ी ज़रूर चलते हैं किसी दिन मैं फुर्सत होकर तुम लोग से डेट निर्धारित करता हूँ , और बाय टेक केयर बोलकर अजय फोन काट देता है और सभी बात करके बहुत खुश होते हैं ।

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रोहित रोहन राजेश और सुरेश की बातें वहां खड़ा कोई और शख्स भी सुन रहा था , वो चारों के पास आता है और धीरे धीरे बात करनी सुरु करता है , और बोलता है दोस्तों मेरे पास पचमढ़ी के पास मेरे अंकल का फॉर्म हाउस है रहना खाना दारू सारू सब फ्री और हाँ अपनी अपनी गर्लफ्रेंड्स भी ला सकते हो , अगर तुम लोग चाहो तो मेरे साथ आ सकते हो तभी सुरेश बीच में बोल पड़ता है ओके बट हमारे पास कोई गर्लफ्रेंड्स नहीं है रण्डुये हैं सबके सब , वो शख्स बोलता है कोई बात नहीं संडे का प्लान डन कर लो , उस शख्स के साथ चारों के नंबर का आदान प्रदान होता है तभी रोहित बोलता है यार एक अपना दोस्त भी है अजय वो भी अपने साथ पार्टी में आएगा वरना पार्टी कैंसिल , वो शख्स कहता है कोई बात नहीं जब यार बना ही लिया है तो यार का दोस्त भी अपना यार ही हुआ न , सभी संडे को मिलना का वादा करते हैं , और एक बाइक में रोहित और रोहन तथा दूसरी बाइक राकेश और सुरेश तथा तीसरी बाइक में वो शख्स रवाना होते हैं उन्होंने अजय को पहले ही कॉल कर दिया होता है की हम निकल रहे हैं तुम भी पचमढ़ी में मिस्टर रायचंद के फॉर्महॉउस में मिलो , अजय भी इटारसी से पचमढ़ी के लिए रवाना होता है , रास्ते में वो बार बार अजय की लोकेशन लेते रहते हैं , रास्ते में उस शख्स ने कई जगह बियर पीने का ऑफर दिया पहले तो चारों दोस्तों ने मन किया मगर ज़्यादा फ़ोर्स करने पर सिर्फ बियर पीने के लिए तैयार हो गए , और फॉर्म हाउस पहुंचने तक सबने लगभग चार चार बियर पी ली थी ,

शाम तक अजय सबके कांटेक्ट में था पचमढ़ी पहुंचने तक उसका मोबाइल सिग्नल बता रहा था मगर अब उसका

मोबाइल कवरेज एरिया से बाहर बता रहा था , कुछ देर तक सबने हाईवे पर अजय का वेट किया इसके बाद सबने जंगल की पगडण्डी का रास्ता इख्तियार कर लिया , लगभग एक घंटे के ऑफ रोड बाइकिंग के सफर के बाद , सभी फॉर्म हाउस के गेट में थे , गेट में मिस्टर रायचंद के नौकर चाकर ने भव्य स्वागत किया , फ्रेश होने के बाद सभी ड्राइंग हॉल में मिले हॉल मिस्टर रायचंद के खानदान की तस्वीरों से भरा पड़ा था , सबने तस्वीरें देखीं और काफी इम्प्रेस हुए , मगर एक फोटो जो अविकसित बच्चे की थी वो सभी को विचलित कर रही थी , तभी रोहित ने साथ खड़े शख्स से आखिर पूछ ही लिया की ये तस्वीर किसकी है , वो शख्स बताया की ये तस्वीर मिस्टर रायचंद के छोटे भाई की है जो बचपन से अपाहिज हैं , माता पिता की मौत के बाद मिस्टर रायचंद ने ही अपने छोटे भाई को पालापोसा है , तभी एक नौकर आया और सबको डायनिंग हाल में पहुंचने के लिए आग्रह किया , डायनिंग टेबल के सामने वाली कुर्सी पर मिस्टर रायचंद बैठे हुए हैं और उनके दाहिनी तरफ उनका अपाहिज भाई , सब उनके सम्मान में सर झुकाते हैं और डायनिंग टेबल के चारों तरफ रखी कुर्सियों में एक एक करके चुपचाप बैठ जाते हैं , नौकर चाकर खाना परोसना सुरु करते हैं , सबके सामने चिकेन मटन परोसा जाता है , और मिस्टर रायचंद के सामने चीज़ बटर और सलाद के साथ एक बहुत बड़ा ब्रेन खाने के टेबल पर रख दिया जाता है , रायचंद का आदेश होता है सब डिनर करते हैं और मिस्टर रायचंद ब्रेन के टुकड़ों को बड़े चाव से अपने हाँथ से अपाहिज भाई को खिलाते हैं , और डिनर के बाद सभी अपने अपने कमरे में चले जाते हैं ।

चारों के बेड एक बहुत बड़े हाल में लगे हुए हैं, चारों बेड पर लेटे बस मिस्टर रायचंद के अपने भाई को ब्रेन खिलाने वाले खाने वाले अंदाज़ से आश्चर्यचकित थे , तभी रोहित बोला ये अजय कहाँ अटक गया यार इसे अब तक तो हर हाल में यहां पहुंच जाना चाहिए था , तभी रोहन बोलता है भाई लोग ये रायचंद है क्या चीज़ बे किसका ब्रेन खिला रहा था अपने अपाहिज भाई को बी सी साला इंसान है की जानवर मुझे तो ये जगह ही साली हॉन्टेड लग रही है , तभी राजेश बोला तू तो है ही फटटू साले कॉलेज में रूबी को प्रपोज़ मारते वक़्त तू पेंट में मूत मारा था मुझे आज भी याद है , रोहन बोलता है देख राजेश तू अपनी हद में रह समझा बात इज़्ज़त पर नहीं आनी चाहिए , वरना मुझसे बुरा कोई नहीं होगा तभी राजेश ने बोला क्या कर लेगा बे तू साला बूम किसको मारता है सभी ने राजेश को मना किया शांत रहे हम यहां पार्टी एन्जॉय करने आये हैं न की लड़ने , काफी देर के गप्प सड़ाके के बाद सब सोने लगे , तभी परदे के पीछे एक शख्स अपनी जीभ से लार टपकाता हुआ परमसुख की अनुभूति कर रहा था , जैसे बरसों से प्यासी रूह को एक साथ बहुत सारा भोजन मिल गया हो ,सुबह का वक़्त है सब जॉगिंग के लिए हवेली से बाहर जाने लगते हैं मगर सुरेश बोलता है मैं नहीं जाउगा , मुझे नींद आरही है तुम लोग जाओ मैं थोड़ी देर और आराम करुगा , और वो एक बार जंगल की गुलाबी ठण्ड में कम्बल ओढ़ कर सो जाता है ,

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रोहित रोहन राजेश जंगल की वादियों में जॉगिंग कर रहे हैं तभी उनके उनके सामने से तेज़ रफ़्तार के साथ एक ब्लैक बक दौड़ता हुआ गुज़रता है और एक धड़ाम की आवाज़ के साथ लगभग ३० फ़ीट की दूरी पर गिरकर तड़पने लगता है , पीछे से रायचंद का वफ़ादार वहीँ शख्स आकर ब्लैक बक को उठाता है , और वहाँ से जाते वक़्त बोल कर जाता है जल्दी आओ हवेली पर ब्रेकफास्ट रेडी है उसके जाने के तुरंत बाद रोहित एक बार फिर अजय को फोन लगाता है , मगर इस बार भी अजय का फोन नहीं लगता है , दौड़ते दौड़ते वो हवेली के जस्ट पीछे आ पहुंचते हैं , जहां एकड़ों में कबाड़ फैला हुआ था , रोहित बोलता है लगता है मिस्टर रायचंद की कबाड़ की दुकान है इनके दादा परदादा यहाँ के राजा थे या कबाड़ी , हर मॉडल की बाइक और कार कबाड़ में अवेलेबल है यहां पर , तभी रोहन बोलता है ये बाइक इटारसी की लगती है नई है गाइज़ हो न हो दाल में कुछ काला है , वो आगे बढ़ते हैं कुछ ही दूर पर नरकंकालों से भरी एक खाई हैं , सभी देख कर आश्चर्यचकित रह जाते हैं , तभी राजेश की नज़र एक बॉडी पर पड़ती है , जो अभी ताज़ी थी वो कहता है भाई लोग ये अपने अजय की बॉडी लगती है सबके के सब मिलकर उस बॉडी को पलटते हैं , वो अजय ही था जिसकी खोपड़ी काटकर ब्रेन निकाल लिया गया था ।सब दुखी हो जाते हैं और वहाँ से भाग जाने का प्लान बनाते हैं , लेकिन उन्हें सुरेश का ख्याल आ जाता है , वो सुरेश को कॉल करते हैं मगर वही नेटवर्क प्रॉब्लम और अंततः वापस हवेली में जाकर सुरेश को भी साथ में लाने का प्लान का प्लान बनाते हैं , और वो इस तरह से बन जाते हैं की जैसे कुछ हुआ ही नहीं है , और सुरेश को लेने के लिए हवेली का रुख कर देते हैं ।

वो जब वापस हवेली में पहुंचते हैं ब्रेकफास्ट तैयार है सभी डायनिंग टेबल में चारों तरफ बैठे हैं रायचंद का अपाहिज छोटा भाई भी साथ में है , रायचंद के दाईं तरफ सुरेश और बाईं तरफ अपाहिज छोट भाई बैठा है , रोहित रोहन और राजेश को देखकर सुरेश बहुत खुश हो जाता है , तभी रायचंद के छोटे भाई की तरफ इशारा करते हुए सुरेश बोलता है  सारे नास्ते में अपनी लार टपका रहा है आपका ये अपाहिज भाई , रायचंद फ़ौरन प्लेट में रखा हुआ फ्रॉग उठाता है और सुरेश की एक आँख की गोटी बाहर निकाल देता है , तभी रायचंद का अपाहिज भाई लपक कर सुरेश की आँख को रसगुल्ले की तरह चाट चाट कर बड़े चाव से खाने लगता है , सभी आस्चर्यचकित रह जाते हैं , टी वी में सलमान खान और और मध्रुरी दीक्षित की नब्बे के दसक की सुपर हिट फिल्म साजन का मशहूर गाना चल है पहली बार साजन की आँखों में प्यार , की तभी हाल में चारों तरफ से ट्री कटर मशीन के साथ रायचन्द के आदम खोर दरिंदों का प्रवेश होता है , सभी हाल से भागने की नाकामयाब कोशिश करते हैं किन्तु सभी को रायचंद के आदमियों द्वारा कुर्सियों से बांध दिया जाता है ।

तभी मिस्टर रायचंद अपनी कुर्सी से उठता है , दीवार पर लगी अपने खान दान की तस्वीरों की तरफ देखता है उस

तस्वीर के पास पहुँचता है जिसमे उसका अपाहिज भाई व्हील चेयर में बैठा हुआ है , रायचंद अपनी जेब से रुमाल निकाल कर अपने आंसू पोछता है बड़े भाई को रोता देख अपाहिज भाई भी फफक फफक कर रोने लगता है , तभी रायचंद उसको चुप कराता है और कहता है मेरे माँ बाप ने मरते समय मेरे भाई को मुझे सौपा था , देश विदेश के तमाम डॉक्टर्स को दिखा चुकाहूँ मगर किसी में मेरे भाई को ठीक कर पाने की काबिलियत नहीं थी , थक हार कर जंगल के क़बीले में इसका इलाज़ मिला और वो था , होशियार दिमाग वाले इंसान के दिमाग का सूप इसे पिलाया जाए तभी ये ठीक हो पायेगा , और फिर चारों की तरफ बढ़ता है ।

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और बोलता है तुम चारों इंजिनीरिंग के स्टूडेंट हो इंटेलिजेंट हो तुमसे बढ़िया दिमाग आखिर किसके पास होगा तभी सुरेश अपनी फूटी आँख के दर्द को दबाता हुआ चीख पड़ता है ज़ाहिल है तू तेरे इस अपाहिज भाई का कुछ नहीं हो सकता है , रायचंद उसके पास जाकर सुरेश को एक थप्पड़ मारने ही वाला होता है की फलों पर रखे चक्कू को सुरेश रायचंद की गर्दन पर अड़ा देता है और रायचंद के चमचों को आदेश देता है की फ़ौरन उसके दोस्तों को छोड़ दिया जाए और रायचंद भी जान पर खतरा भांप जाता है और अपने चमचों को रोहित रोहन और राजेश की रस्सियां खोलने का आदेश देता है रस्सियां खुलते ही तीनो रायचंद के चमचों के हथियार खुद लेते हैं , और रायचंद को कवर देने के लिए अपने साथ लेकर जीप में वहाँ से रवाना होते हैं , जीप रायचंद की हवेली को पार करके जंगल की पगडंडियों में दौड़ने लगती है , तभी जंगली कबीलों का एक झुण्ड जीप पर हमला बोल देता है , चारों दोस्त कुछ समझ पाते उससे उससे पहले सुरेश और रोहित को कबीले वाले जीप से खींच ले जाते हैं , रोहन और राजेश किसी तरह लोगों को जीप की ठोकर मारते हुए वहाँ से भाग जाते हैं , रायचंद के आदमी कुछ दूर तक ही उनका पीछा करते हैं , और आखिर कार वो बोर्ड भी दिख ही जाता है है जिसपर लिखा था वेलकम इन रायचंद एम्पायर , हाईवे पर पहुंचते ही रोहन और राजेश जीप छोड़ देते हैं और ट्रक में लिफ्ट लेकर शहर पहुंचते हैं वहाँ जाकर पुलिस में कम्प्लेन लिखवाते हैं , थाने का दरोगा रिपोर्ट लिखता है और रोहन और राजेश के निकलते ही वो रिपोर्ट फाड़ देता है इसी के साथ सुरेश रोहित और अजय की मौत गुमसुदगी में खो जाती है ।

story in flash back ,

पहले भी कई लोगों ने रायचंद स्टेट में लोगों के गुमसुदगी की रिपोर्ट लिखाने की कोशिश की थी पुलिस स्टेट के अंदर तो गयी मगर आज तक लौटकर वापस नहीं आई कई थानेदारों के शव पेड़ से लटकते मिले तो कईयों के बोरे में भरे मिले लोग कहते हैं की रायचंद स्टेट में भूत प्रेत का वास है इसलिए कोई वहाँ नहीं जाता है ।

story finish

pics taken by google