bulb and wire a heart touching short love story for kids ,

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सड़क पर ट्रैफिक तेज़ हो रहा है , शाम के ६ बजने वाले हैं , सड़क के किनारे लगे इलेक्ट्रिक खम्भों पर स्ट्रीट लाइट्स के

बल्ब जल गए , और खम्भों को आपस में जोड़ती बिजली की तार मजे के साथ झूमते हुए मानो प्राप्त हो रहे परम आनंद

को प्रदर्शित कर रही है , और विद्युत् प्रवाह को इस खम्भे से उस खम्भे में पंहुचा रही है , इस वियुत प्रवाह से खम्भों पर

लगे बल्ब और वायर के बीच प्रणय प्रसंग चालू हो जाता है , अर्थात बल्ब और वायर के बीच एक गहरे प्रेम प्रशंग की

शुरुआत हो जाती है । रात और गहरी होती जाती है बल्ब और वायर के बीच रोमांस भी रात के साथ बढ़ता जाता है , दोनों

के प्यार को इलेक्ट्रिक खम्भे में लगा मीटर बड़े प्यार से देख रहा है , और मानो जैसे चौकीदार बनकर उनके बल्ब और

वायर के प्यार की रख वाली कर रहा है ,

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उनकी हर एक पल्स पर नज़र है उसकी ,मगर उसे भी पता है सुबह के ६ बजते ही उसे स्ट्रीट लाइट्स बंद करनी पड़ेगी ,

सुबह होती है घडी में ६ बजने वाले हैं आसमान में सूर्य की लालिमा दिखाई देने लगती है , और हँसते हुए सूरज आसमान

पर चढ़ने लगता है जैसे की वो प्रेमिका का बाप हो , और इसी के साथ स्ट्रीट लाइट्स का पावर ऑफ हो जाता है , और दो

प्रेमी एक बार फिर दिन भर की विरह वेदना में जलने के लिए मज़बूर हो जाते हैं ।

 

इसी तरह उनकी हर रोज़ की दिन चर्या थी , मगर आज का दिन कुछ अजीब है , शाम के ४ बजे हुए हैं , और आसमान

पर छाये काले बादल किसी बहुत बड़ी मनहूस घटना के होने का अंदेशा प्रदर्शित कर रहे हैं , अचानक मौसम का मिजाज़

बदलता है तेज़ तूफ़ान के साथ आसमान से बिजली गिरती है , जिससे दो खम्भों को जोड़ती इलेक्ट्रिक तार चटाक से टूट

जाती है , और खम्भों के बीच विद्युत् प्रवाह का सम्बन्ध विच्छेद हो जाता है , बेचारा बल्ब उदास हो जाता है ,

 

आज की रात दो प्रेमी नहीं मिलेंगे , रात होती है अँधेरा बढ़ता जाता है , पोल पर लगा हुआ बल्ब आज उदास है , पोल पर

लगे मीटर से उसकी ये दशा देखी नहीं जा रही है , उसकी दशा पर मीटर भी आज उदास है । रात गुज़रती है सूर्य की

किरणे अँधेरे को दूर भगा देती हैं , अभी भी टूटा हुआ इलेक्ट्रिक वायर सड़क के किनारे पड़ा हुआ है , जैसे उस अनाथ का

इस दुनिया में कोई भी न हो , दिन गुज़रता है रात होती है , फिर सुबह होती है मगर आज भी उस वायर की तरफ किसी

का कोई ध्यान नहीं, इसी तरह कई दिन गुज़र जाते हैं अब तो स्ट्रीट लाइट्स की तार में विद्युत् प्रवाह भी बंद कर दिया

गया है , बल्ब और वायर के बीच पुनः मिलन की जो उम्मीद थी वो भी खत्म हो चुकी थी , न उमीदी के साये में पड़े

दोनों की ज़िन्दगी बस चंद साँसों की मोहताज़ थी ,जल बिन मछली की तरह तड़पता हुआ बल्ब सोचता है , इतने दिन हो

गए कोई विद्युतकर्मी नहीं आया हमारी खबर लेने लगता है, उन्हें भी मेरी रोशनी पसंद नहीं , वो भी चोर उचक्कों की

तरह अँधेरे में निकलना पसंद करने लगे ,

 

इसी तरह ज़मीन पर घायल सांप की तरह तड़पता हुआ विद्युत् वायर भी छण प्रति छण चोर उचक्कों द्वारा काट लिए

जाने के डर से भयभीत था , उसके भी मन में असंतोष व्याप्त था, वो अपने प्रियतम तक बल्ब को विद्युत् प्रवाह दवारा

रोशनी पहुंचाने के लिए लालायित था , इसी कश्मकश में कई दिन गुज़र गए थे , अब तो उम्मीद की किरण भी समाप्त

होने लग गयी थी , तभी बुझा हुआ बल्ब मायूस नज़रों से वायर की तरफ देखता हुआ बोलता है , सुनो मुझे किसी ने

अगर फोड़ दिया या तुम्हे किसी और जगह लगा दिया गया तो मुझे भूल तो नहीं जाओगे , वायर बोलता है ऐसी बात मत

कर पगले हम मिलेंगे और एक बार फिर दुनिया को अपनी रोशनी से जगमगाएंगे , अच्छा सुनो तुम मायूस मत हो

तुम्हारी बातें सुनकर मेरा भी जी भर आता है । इसी ना उमीदी के बीच एक दिन दोपहर के १२ बजे , विद्युत् मंडल वालों

की गाड़ी आती है , उसमे से विद्युत् कर्मी उतरते हैं और एक लम्बी सी नसेनी (सीढ़ी) के सहारे विद्युत् पोल पर चढ़कर

दोनों खम्भों के बीच टूटी विद्युत् तार जोड़कर विद्युत् प्रवाह चालू कर देते हैं ,

 

इसी के साथ कई दिनों से बुझे पड़े वायर और बल्ब के चेहरे ख़ुशी के साथ चमक उठते हैं , तो दोस्तों ज़िन्दगी में कितने

भी बुरे दिन आएं रात कितनी भी काली अँधेरी हो, सुबह ज़रूर उजाला लेकर आता है , और बुरे से बुरे वक़्त में हमें

मनोबल कभी नहीं तोडना चाहिए ।

इति शिद्धियत

haunted house a short horror story based on a true event

pix taken by google

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