desi horror comedy story in hindi taai ka bhoot ,

2
6304
desi horror comedy story in hindi taai ka bhoot ,
desi horror comedy story in hindi taai ka bhoot ,

desi horror comedy story in hindi taai ka bhoot ,

बुन्देलखण्ड तो वैसे डांकुओं के लिए मशहूर है , मगर पन्ना के आस पास के इलाके के गाँव आज भी भूत प्रेत की अकल्पनीय ऐसी घटनाओं से भरे पड़े हैं ,

टॉप एंगल शॉट ,
पूरनमाशी की चाँदनी रात दो से तीन के बीच का समय था , कुएं की पाट रखी बाल्टी अचानक से कुयें के अंदर जाने लगती है , उसके साथ बाल्टी में बंधी रस्सी भी सरकती हुयी अंदर चली जाती है और छपाक से एक तेज़ आवाज़ के साथ पानी में गिर जाती है , आवाज़ इतनी तेज़ थी की , बाजू में वाले घर में सोयी बिट्टो और रन्नो जाग जाती है , रन्नो बिट्टो से बोलती है या कौन आवाज़ आये मोड़ी का हो गओ बिट्टो रन्नो से पूछती है , रन्नो आज शाम तैने बाल्टी और रस्सी कुएं में रख छोड़ी थी न , जा कुएं में गिर गयी ओहि की आवाज़ आहे अभी अगर ताई ज़िंदा होत ते रस्सी लजरी कबहूँ कुइयां माँ न छोडत । तभी दरवाजे की सांकल खुलने की आवाज़ आती है , और हटका भी अपने आप खटाक की आवाज़ के साथ खुल जाता है ,

भी रन्नो और बिट्टो के पीछे से नक्नकी आवाज़ में कोई बोलता है , न री रन्नो बिट्टो सांझै से मर गयी काहे , लजरी बाल्टी भीतर नहीं धरतिस आहे काहे कौनौ चुरा के ले जई ता बागै पोइस पोइस , रन्नो बिट्टो की सिट्टी पिट्टी गुल हो जाती है । वो रजाई के अंदर से ही हओ ताई बोलकर कर रजाई को सर तक ढांप कर कांपते हुए अंदर ही सिमट जाती हैं , जैसे तैसे सुबह होती है ।पौ फटे ही रन्नो और बिट्टो गाँव के घर की तरफ भाग जाती हैं , और जाकर अपने ताया को सारी बात बताती है , की कैसे अहरी में रात को ताई का भूत आया था , और रस्सी बाल्टी समेटने को कह रहा था , ताया रन्नो और बिट्टो को समझाते हैं बच्चों मरे हुए लोग वापस नहीं आते हैं , ये महज़ तुम्हारा भरम है कोई भूत ऊत न है , आज से मैं खुद सोया करूँगा अहरी में , (अहरी अर्थात खेल वाला घर )ये बात गाँव के बच्चे बच्चे के ज़बान में थी , की गाँव में ताई का भूत बाग़ रहा है , हर जगह झाड़ फूंक का माहौल पूजा अर्चना सुरु की गयी थी , की किसी को ताई का भूत न पकड़ ले और अनावश्यक उसकी जान चली जाए ,

 good morning shayari,

इसी गाँव में एक बुजुर्ग महिला थी मटरी दाई जो हूबहू मंथरा की डुप्लीकेट कॉपी थी , वो आग पानी हवा को गाली देती

चलती थी , सुबह सुबह का वक्त था , मटरी नहा धोकर पूजा की डोलची सजाये मंदिर जा ही रही रही थी की गली में खेलते बच्चों ने उसे चिढ़ाना सुरु कर दिया , मटरी दाई मटरी दाई की तभी मटरी दाई को गुस्सा आ गया उसने आव देखा न ताव ज़मीन पर पड़ा हुआ पत्थर का टुकड़ा उठाया और बच्चों की तरफ उछाल दिया , और गाली देते हुए बच्चों को बोली भागो रे छिटका के बारे हरो जाइके अपनी अपनी माई का बोलेउ मटरी होई तोहार सास मटरी होई तोहार दीदी ,

उसकी गाली सुनकर बच्चे तो कंचे छोड़कर वहाँ से भाग गए मगर मटरी दाई द्वारा फेंका हुआ पत्थर सीधा जाकर ततैया के छत्ते में जा टकराया और ततैयों ने भी मटरी से बैर भंजा लिया , और मटरी ढाई को धर मसकी , ततैया के काटते ही मटरी दाई वहाँ से पूजा की डौलची छोड़ती जो भागी , तो खाय लिहिस खाय लिहिस करती सीधा घर में जाकर रुकी , मटरी दाई अर्थात सास की आवाज़ सुनते ही बहू तुरंत दौड़ी दौड़ी आई पूछी का हो गया अम्मा , मटरी बोली खा लिहिस और का हो गयो , रन्नो बिट्टो के ताई जउन भूत बनी गई ही न मोहे काट खाई , बहु एक बार फिर बोली कछु तो बताओ अम्मा का हो गए कौन काट खाओ , मटरी दाई के गाँव गुहार से सारा का सारा गाँव खड़ा हो गया था , मटरी के दुआरे में तभी भीड़ में से एक छोटा लड़का आगे आया बहु से बोलै काकी ततैयों ने खाओ लगो मटरी दाई को , ओही से तिलमिलात है , एक पड़ोसन ने कहा कछु न पुतोह अमचूर का पानी माँ घोल के लगा दे ततैया को ज़हर उतर जई ,

किसी ने कहा जंगान लोहा घिस के छुआ दे , ज़हर उतर जई , बहु ने सबके कहे मुताबिक किया मगर ततैया के काटे का असर तो बाद में दिखाई देता है , घंटा भर बाद मटरी दाई के हाँथ पैरा चेहरा फूल के गुब्बारा हो चुके थे , ऐसा लगता था की मटरी दाई के जिस्म में किसी ने गैस भर दी हो , मटरी बहु से बोली तैं या सब पंचायत न कर मोर बीमारी भुतही आये या बस तांत्रिक से जई ,

सबने कहा दूर माडौ गाँव है जहां बहुत बड़ा ओझा आओ है जो पूरनमासी की रात को चौरा लगाए करत है , रात मा

जाय का पड़ी उहाँ , मटरी दाई की हालत बहुत खराब हो रही थी , जैसे जैसे उसका दर्द बढ़ रहा था वो बहू के ऊपर ज़ोर ज़ोर से चिल्ला रही थी मटरी के लिए तो आज के दिन का एक नया तमाशा तैयार हो गया था, वो बस अपने लड़के के आने का इंतज़ार कर रही थी शाम होते ही लड़का जैसे घर आता है , दीवार से सायकल टिकाया ही है की उसकी आवाज़ मटरी दाई के कान तक पहुंच जाती है और मटरी दाई ज़ोर ज़ोर से दहाड़ मार मार कर रोना सुरु कर देती है , खाई लिहिस मोहे लल्लू आज रन्नो बिट्टो के ताई मोहे खाय लिहिस अम्मा की दहाड़ सुनकर लल्लू पिघल जाता है , वो अपनी पत्नी से पूछता है का हो अम्मा का बहू सारी घटना का वृत्तांत पति को बताती है , मटरी दहाड़ मार मार के रोती है मोहे माडौ गाँव ले चल लल्लू

लल्लू बोला तनिक रुक अम्मा तोहें अभिन ठीक करत हों वो तुरंत सायकल उठाया और गाँव के जानकार कम्पाउण्डर को ले आया , उसने मटरी दाई को दवा दी और इंजेक्शन लगाया , जिससे मटरी दाई बक बक करती चुप चाप सो गयी, सुबह उठ के देखी तो उसके चरे की सूजन गायब हो गयी थी , अपना चेहरा देखते ही मटरी बहुत खुश हुयी बोली देखो मोरो जालपा मढ़िया को प्रताप तुरंत ठीक हो गयो , आज मैं सगळा दिन सगळी रात माई के मढ़ुलिया मा भजन गैहौं , कर उगेने पाँव ही मंदिर की तरफ दौड़ लगा दी रास्ते में जो भी मिलता उसको बताती भाग गयी रन्नो बिट्टो की ताई मोहे छोड़ दहिस जालपा माता के डर से,

इधर कहानी के तीसरे चैप्टर में कुछ और ही चल रहा था ,

अब तो गाँव के हर घर में जिस किसी की भी तबीयत खराब होती , बस रन्नो बिट्टो की ताई का भूत ही मान लिया जाता , रन्नो बिट्टो के घर से थोड़ा दूर विश्वकर्माइन का मकान जहां माँ बेटी साथ में लेटी हुयी हैं , की अचानक रात के १२ बजे के बाद बेटी चिल्ला पड़ती है इ इ इ इ इ इ इ की भयानक आवाज़ के साथ , विश्वकर्माइन आले में रखी चिमनी जलाती है , वो बेटी की हालत देख कर हैरान रह जाती है वो , बेटी का जिस्म पीला पड़ गया था , हाँथ पैर उसके अकड़ गए थे , विश्वकर्माइन तेजी से चिल्लाई मुन्नी के बापू जल्दी आवा देखा मुन्नी का का हो गओ है , लागत है हमरी मुनिया का रन्नो बिट्टो की ताई खाय लिहिस अब न बाँची हमार बिटिया मोर करेजा , मुन्नी का पिता मुन्नी का सर छूता है , जो बहुत तेज़ गरम था , जैसे तैसे रोते बिलखते घर वाले रात काट ते हैं ,

सुबह उठते ही मुन्नी को विश्वकर्मा जी तुरंत कस्बे के हॉस्पिटल में ले जाते हैं , उसे वहाँ एडमिट कर दिया जाता है

डॉक्टर उसकी कई तरह की जांच करवाते हैं जांच में पीलिया और मलेरिया दोनों पाया जाता है , डॉक्टर समझाता है की डरने की कोई बात नहीं आप धीरज रखिये सब ठीक हो जायेगा , तभी विश्वकर्माइन अपने पति के कान में कहती है सुनो जी या डॉक्टर कुछु न जाने है मटरी दाई का रन्नो बिट्टो के ताई धर दबोचीस ते हमारे मुन्निव का उहइ जकड़े ही , हरामज़ादी कहूँ के , विश्वकरम बोला तेन बहु जानिस ही , डॉक्टर इतना पढ़ा लिखा कुछ नहीं जानत आये , पति की बात सुनकर विश्वकर्माइन थुथना फुलाकर कर मुँह बिचका के बेड का कोना पकड़ कर बैठ गयी ,

शाम का वक़्त कहीं से लहा बिहा के विश्वकर्माइन ने एक ओझे का प्रबंध कर लिया ,डॉक्टर के आने का टाइम ७ से ८ के बीच था डॉक्टर के जाते ही , विश्वकर्माइन हॉस्पिटल के लॉन में तांत्रिक के साथ सामने बीमार असहाय मुन्नी बेचारी माँ के सहारे बैठी थी तांत्रिक जलाये हवन धुएं में बार बार लोहवान डालता और मुन्नी से पूछता बता तैं को आहे बहुत देर तक मुन्नी उसकी तरफ तो देख ही नहीं पायी की एक बार फिर मयूर पंख से से मुन्नी को झाड़ता हुआ तांत्रिक पूछता है बता तैं को आहे मुन्नी गुस्सा जाती है और बोल पड़ती है तोर बाप आहेन तांत्रिक भड़क जाता है , वो मुन्नी की तरफ मारने के हाँथ उठाता की तभी मुन्नी का पिता अर्थात विश्वकर्मा जी आ जाते हैं और तांत्रिक को झटक के वहाँ से भगा देते हैं तांत्रिक अपना ताल तमूरा उठा के वहाँ से रफूचक्कर हो जाता है , दो चार दिन बाद डॉक्टर के इलाज से मुन्नी ठीक हो जाती है ,

desi kahaniyaan in hindi , 

गाँव में इस तरह की अप्रिय घटनाएं लगातार होती रहती थी , जिसके चलते लोगन ने मन बनाया की ताई की आत्मा को ताऊ बद्रीनाथ धाम लेकर जाएँ और वहीँ उसका पिण्ड दान करें तभी ताई की आत्मा को शांति मिलेगी , फिर क्या था ताऊ जी बद्री नाथ गए और ताई की आत्मा ने सबको परेशान करना बंद कर दिया ।

pix taken by google