ego anger and love a short story ,

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short moral stories on ego,
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ego anger and love a short story,

गुस्सा तो जैसे नाक में था उसके मुझे देखते ही उसने उसने स्कूटी आगे की और बढ़ाई , जिससे हेड लाइट सीधा दीवार से

सटी सीढ़ियों से टकराई जो ऊपर की ओर जाती है और स्कूटी की हेड लाइट छनाक से टूट गयी , उसकी नज़र मेरी नज़रों

से मिली ही थी की उसने एक बार फिर स्कूटी पीछे किया और पुनः तेज़ एक्सीलेटर के साथ दीवाल में दे मारी अबकी बार

स्कूटी की लटकी हेड लाइट वहीँ ज़मीन पर छनाक से चकनाचूर हो कर बिखर गयी , उसने एक बार फिर मेरी तरफ ताव

भरी नज़र से देखा साक्षात चंडी का अवतार लग रही थी वो , हम भी महिषासुर से कम थोड़े न थे , बाइक साफ कर रहे थे

, वहीँ पास पड़ी सरिया उठाये और बाइक के हेड लाइट में जमा दिए , एक ही झटके में फर्श पर गिरी पड़ी थी ससुरी ,

राधा मेरी धरम पत्नी रात का गुस्सा अब भी उसके नाक पर सवार था , स्कूटी की हेड लाइट्स तोड़ने के बाद उसे लगा

जैसे वी जंग जीत चुकी है , मगर मेरे बाइक के लाइट तोड़ने के बाद एक बार फिर वो खिसियानी बिल्ली सी स्कूटी पर

लात मारती माई फुट करती हुयी गराज से बाहर निकलने लगी , अगर वो गुस्से का ट्रांसफार्मर थी तो हम भी कौनौ पावर

हाउस से कम न थे , हमने एक बार फिर सरिया घुमाया और बाजु खड़ी कार में दे मारे , सरिया बोनट से स्क्रैच मारता

हुआ घूमते घूमते सीधा सामने वाले सीसा में जा लगा और कांच के टुकड़ों से गराज का कोना भर गया , मगर राधा ने

मुड़कर देखा तक नहीं वो चुपचाप गराज से निकल कर घर के अंदर चली गयी ,

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cut to ,

मैडम के रिएक्शन से साफ़ समझ में आरहा था की आज घर में चूल्हा नहीं जलने वाला था , वैसे भी नवरात्री चल रहे थे ,

एक दिन का उपवास ही सही वैसे भी आज संडे था , बस दिक्कत थी तो इस बात की थी की कहीं आज बाबू आ जी न

धमके , अक्सर संडे को वो हमारे यहां आ ही जाते हैं , मैंने एक विचार बनाया , क्यों न बाबू जी के यहां चला जाऊं वहीँ

दोपहर के खाने का इंतज़ाम भी हो जायेगा , फिर शादी में मण्डप के फेरे में लिए गए वादों को याद करके अकेले जाने का

प्लान कैंसिल करना पड़ा , फिर ये ख़्याल मन में आया अम्मा बाबू जी क्या बोलेगे , मुझे ही दोष देंगे की क्यों झगड़ा

किया , इससे अच्छा है नहा धोकर मैडम के मूड सुधरने का इंतज़ार किया जाए ।

 

cut to ,

दोपहर का वक़्त तकरीबन एक बज रहे थे , मैं डाइनिंग टेबल पर बैठा कुछ खाने का इंतज़ार कर रहा था की शायद किचेन

से राधारानी कुछ पका के लाएगी , तभी सोचता सोचता मैं बीती रात किये वादों की दलीलों में पहुंच जाता हूँ ,

story in flash back ,

मैं कंप्यूटर पर काम कर रहा था तभी राधा आकर मेरे गले में हाँथ डालकर बोलती है आज जल्दी सो जाओ कल सुबह

देवी माता के मंदिर साथ में जायेगे , और हाँ वो जो मेरे कल्लू मामा के छोटी वाली बहन की बेटी है न , उसके टॉमी को

बेटा हुआ है उसे भी देखने साथ में चलेंगे , मैं बोलता हूँ टॉमी को बेटा कब से होने लगे कुत्ते के पिल्ले होते हैं , राधा रानी

एक बार पुनः समझाती हैं अब बेटा हो या पिल्ला हमें क्या देखते हो मामी जी कितना प्यार करती हैं अपने परिवार के हर

एक सदश्य से, उन्होंने तुममे और टॉमी में कोई फर्क किया क्या , मेरी उँगलियाँ की बोर्ड पर थिरकना बंद हो जाती हैं ,

और कुछ पल के लिए मैं खुद को टॉमी की जगह खड़ा पाता हूँ ,

 

और राधा चादर तान के सो जाती है और मैं दूसरे कमरे में लॉक मार के काम पर लग जाता हूँ , काम करते करते  जाने

कब मेरी आँख लग जाती है , हाँ गहरी नींद में मधुर स्वप्न की तरह राधा की आवाज़ ज़रूर मेरे कानो में सुनायी दी थी ,

मगर मुझे वो दिवास्वप्न सा प्रतीत हो रहा था , मैं नींद की अनंत गहराइयों में गोते लगा रहा था , और जब आँख खुली

तो देखा सुबह के १० बज चुके हैं , और देवी अकेले की मंदिर को प्रस्थान कर चुकी है , घर लॉक था मगर मैं भीतर से

खोल सकता था , सुबह सुबह अगर आपको खुद ही चाय बनानी पड़ जाए तो समझो दिन का सत्या नाश होना पक्का , मैं

ख्यालों में डूबा ही था की , तभी डोर बेल बजती है , मैं दूसरी दुनिया से तुरंत तीसरी दुनिया में पहुंच जाता हूँ ,

मैं बाबू जी को चरण स्पर्श करता हूँ, और पूछता हूँ आज बिना फोन किये आप कैसे आगये बाबूजी बोलते हैं घर है मेरा मैं

जब चाहूँ जहां चाहूँ आ जा सकता हूँ ,किसी की परमीशन लेने की ज़रूरत नहीं है मुझे मैं जी बाबू जी करता हुआ , पर्श

बॉक्सर में डाल कर बाहर निकल जाता हूँ ,बाबू जी टी . वी .पर न्यूज़ देखने माँ व्यस्त हो जाते हैं ।

cut to ,

घर के बाजू में गोरखा की होटल है , मैं गोरखा से बोलता हूँ , समोसे देना , वो किसी ग्राहक को सामान देने में व्यस्त था

, वो मुझे अनदेखा कर देता है , मैं एक बार फिर उसे आवाज़ देता हूँ समोसे देना , अबकी बार वो मेरी तरफ देखता है ,

और बोलता है समोसे ख़त्म है साहेब , तभी सामने वाला ग्राहक दो समोसे कम करने को बोलता है , गोरखा दो समोसे

निकाल कर ट्रे में रख देता है ,और मेरे लिए वो दो समोसे पैक कर देता है , मैं उसे ५० का नोट देता हूँ वो मुझे १० रुपये

लौटाता है , मैं बोलता हूँ २ समोसे कितने का दिया वो बोला ३८ का १० रुपये लौटाया ना , २ रुपये चलता नहीं , तो अपुन

क्या करे, , २० रुपये का समोसा ३८ में दे रहा है वो भी २ गोरखा तुरंत बोलता है मैडम से लड़कर गराज में तोड़ फोड़

मचाने वाले को इतनेच में मिलेगा समोसा लेना है तो लो वरना रख दो , मैंने बात को यहीं पर ख़त्म करना उचित समझा

, और मन ही मन ये सोचते हुए घर की और चल निकला की चलो बाबू जी के लिए तो समोसे का इंतज़ाम हो ही गया है ,

मेरा क्या है आज देवी माता के नाम का व्रत रख लूँगा ,

 

और इस बात पर शर्मिंदगी भी महसूस हुयी की उसके घर के आपसी झगडे की खबर गोरखा के दुकान तक पहुंच गयी खैर

मर्द मोटी खाल वाले होते हैं और कहा भी गया है मर्द को दर्द नहीं होता , और इसी बात पर मैं खुद की पीठ ठोकता खुद

को शाबाशी देता दरवाज़े के भीतर पहुँचता हूँ , और समोसे का पैकेट खोलता हुआ बाबू जी के सामने रख देता हूँ, बाबू जी

आखिर बाप थे हमारे हमारी तरफ ऊपर से नीचे तक नज़र दौड़ाते हैं और एक ही झटके में सारी घटना का वृत्तांत समझ

जाते हैं , और हमारी तरफ देखकर कुछ बोलते नहीं हैं , बस आंखों से ही सब कुछ कह जाते हैं और हम नज़र झुकाये सब

कुछ समझ जाते हैं , तभी , बाबू जी आवाज़ लगाते हैं राधा बिटिया आज रसोई में कुछ नहीं बना क्या , ये ठन्डे समोसे

खाकर ही काम चलाना पड़ेगा ,

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भाई मेरे पेट में तो भूख के मारे बड़ी ज़ोर से चूहे दौड़ रहे हैं, तभी मेरी नज़र बाबू जी के पाँव की तरफ रखी पानी की खाली

ग्लास पर पड़ती है , मैं इतना तो समझ गया था की राधा बाबू जी से मिल चुकी है तभी , किचेन से कुकर की सीटी की

आवाज़ सुनायी देती है , और लगभग २० मिनिट बाद डाइनिंग टेबल पर खाना सजा दिया जाता है , मैं भी खाने बैठता हूँ

, खाते खाते ही बाबू जी बोलते है मुझे लगा आज ठन्डे समोसे से ही काम चलाना पड़ेगा , और हाँ गराज में फैले कांच के

टुकड़े साफ़ कर देना , राधा जी बाबू जी कहती हुयी मंद मंद मुस्कुरा देती है , और मैं डाइनिंग टेबल के कोने पर रखे ठन्डे

समोसे की तरफ देखता और कुछ सोचता रह जाता हूँ । तभी राधा मेरी तरफ देखती हुयी अपना मोबाइल मेरी तरफ बढ़ा

देती है और बोलती है मैंने आपके लिए ये बात सुनकर मेरी आँखें ख़ुशी से चमक जाती है , मै भी उसके लिए उसे आने वाली दिवाली के त्यौहार में कुछ

उपहार देना चाहता था मगर काम के बिजी शेड्यूल की वजह से फुर्सत नहीं पा रहा था , और मै उसके लिए एक खूबसूरत

सी साड़ी आर्डर कर देता हूँ . इसी के साथ हम दोनों मिलकर बाबू जी के लिए एक खूबसूरत जूते आर्डर कर देते हैं , और माँ के लिए एक अच्छी सी शाल भी आर्डर करते हैं ,  बहुत सा सामान खरीदते हैं , इस तरह घर में खुशियों के माहौल का एक बार फिर आगमन हो जाता है ।

pix taken by google