heart touching horror stories for kids doll house ,

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इन्फिनिटी मॉल का टॉयज मार्केट ३ साल की एक बच्ची अपने मम्मी पापा के साथ टॉयज के शोरूम में प्रवेश करती है , बच्ची के लिए कुछ टॉयज लेने है बच्ची शोरूम के अंदर अपने लिए टॉयज पसंद कर रही है , की तभी टॉयज की दूकान में सजी डॉल्स में से एक डॉल उस बच्ची का हाँथ पकड़ लेती है और स्माइल देती है , बच्ची कहती है पापा मेरी बेस्ट फ्रेंड मुझे मिल गयी मुझे यही डॉल चाहिए , पापा उसे वही डॉल दिला देते हैं , बच्ची अर्थात नन्ही गौतम जी के दो बेटियां हैं बड़ी बेटी का नाम है चुटकी और छोटी बेटी का नाम है , नन्ही , घर आते ही नन्ही की डॉल के लिए अलग से घर बनाया गया उसके लिए अलग से वाश रूम में बाथ टब एक पुराने टॉय हाउस में अलग बेड रूम किचन वगैरह बनाया गया , चुटकी की क्या मजाल थी की वो नन्ही की डॉल को टच भी कर दे , नन्ही के लिए एक अच्छा टाइम पास बन चुकी थी उसकी डॉल , वक़्त गुज़रता गया कुछ दिनों में ही नन्ही के व्यवहार में बदलाव आना सुरु हो गया था , वो ज़िद्दी  और आक्रामक होती जा रही थी , ज़रा सी बात पर वो चुटकी को मार देती चुटकी उससे ५ साल की बड़ी थी , वो समझदार थी इसलिए वो नन्ही के ऊपर कभी हाँथ नहीं उठाती थी ।

रात का वक़्त सर्दी का मौसम घर का प्रत्येक सदश्य लगभग सो चुका था , तभी गौतम जी के बैडरूम से लगी गैलरी की लाइट ऑन होती है वो बैडरूम का दरवाज़ा रात में लॉक नहीं करते क्यों की बच्चे अभी छोटे हैं , लाइट का प्रकाश गौतम जी की आँख में पड़ता है , रौशनी की वजह से उनकी अचानक से नींद खुल जाती है बाजू में लेटी उनकी छोटी बेटी नन्ही को पास न पाकर गौतम जी हड़बड़ा जाते हैं , रूम की लाइट्स ऑन करते हैं नन्ही को आवाज़ लगाते हैं , अपनी पत्नी को जगाकर पूछते हैं नन्ही कहाँ है , और घर में ढूढ़ना सुरु कर देते हैं , आखिरी में जब वो किचन में पहुँचते हैं , तो देखते हैं की नन्ही फ्रिज से पानी निकाल कर पी रही थी , नन्ही को देखते ही गौतम जी उसे अपने गले से लगा लेते हैं , बेटी को सही सलामत पाकर उनकी आँखे ख़ुशी से छलक जाती हैं , गौतम जी पूछते हैं बेटारात में अकेले उठना गलत बात है , तुम्हे डर नहीं लगता , तभी अपनी तोतली आवाज़ में नन्ही बोलती है नहीं पापा मेरी फ़्रेन्ड है न , और दूसरे हाँथ में पकड़ी हुयी अपनी डॉल की तरफ इशारा करती है , गौतम जी कहते हैं मगर बेटा ये तो डॉल है , नन्ही कहती है नहीं पापा ये बेस्ट फ़्रेन्ड है मेरी , ये मेरे साथ रहती है तो मुझे किसी चीज़ से डर नहीं लगता । गौतम जी ओके बेटा कहते हुए उसे लाकर अपने साथ बेड में लिटा देते हैं , चुटकी अपने अलग बेड रूम में सोती है ।

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नन्ही अपने पापा के ऊपर पैर रख कर लेटी हुयी है , गौतम जी लेटे लेटे ये सोच रहे हैं की इतनी छोटी से बच्ची इसने गैलेरी की लाइट कैसे ऑन की , होगी तभी नन्ही तबाक से बोल पड़ती है पापा अगले संडे हम एस्सेल वर्ल्ड जायेगे , गौतम जी उसे अपने ऊपर खींच लेते हैं , अपने पापा के मूछों को छेड़ती हुयी जायगे जायेगे जायेगे ज़रूर जायेगे , गौतम जी कहते हाँ जायेगे पक्का प्रॉमिस , और नन्ही एक बार फिर कूदकर अपनी जगह में जाकर लेट जाती है , नींद दूर दूर तक नहीं थी उसकी शरारत भरी आँखों में मगर पापा के हाँथ की थपकियाँ पाकर जाने कब उसकी बोझल आँखें नींद की आगोश में चला जाती हैं पता भी नहीं चलता है ।

सुबह का वक़्त है गौतम जी ऑफिस जाने की तैयारी कर रहे हैं , चुटकी एक कोने में अपनी पढ़ाई कर रही है नन्ही कार्टून देखते में व्यस्त हैं , गौतम जी ऑफिस जाने से पहले चुटकी से गाल पर पप्पी लेते हैं इसके बाद गौतम जी नन्ही के पास जाकर देखते हैं की उनकी छोटी बेटी आखिर क्या कर रही है , नन्ही को देख कर गौतम जी हतप्रभ रह जाते हैं , क्यों की नन्ही टी वी पर कार्टून नहीं भूत वाली पिक्चर देख रही थी , और ज़ोर ज़ोर से हंस रही थी गौतम जी नन्ही को समझाते हैं , इट्स वैरी बैड बेटा छोटे बच्चों को ये सब नहीं देखना चाहिए , नन्ही पूछती है क्यों नहीं देखना चाहिए पापा ये तो मुझे दीदी के कार्टून शो से भी ज़्यादा अच्छे लगते हैं । गौतम जी को इतनी छोटी सी बच्ची का ऐसा वर्ताव अचरज में डालने वाला लगा मगर उन्होंने अपनी नन्ही सी गुड़िया की बात को अनदेखा कर दिया दिया ज़्यादा टी वी न देखते की नसीहत देते हुए गौतम जी दोनों बेटियों को बाय करते हुए ऑफिस के लिए रवाना हो गए ।

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शाम का वक़्त गौतम जी ऑफिस से लौटे ही थे उन्होंने अभी चाय तक नहीं पी थी की चुटकी गौतम जी के सामने अपना हाँथ लेकर पहुंच गयी , और बोली देखिये पापा क्या किया नन्ही ने मेरे हाँथ में दांतों से काटा है नन्ही दीवार का एक कोना पकडे हुए चुटकी को एकटक निहारे जा रही थी , पापा के पूछने पर क्यों किया ऐसा नन्ही बेझिझक जवाब देती है , मैं घोस्ट की मूवी देख रही थी , पहले दीदी ने मुझसे पानी मगवाया मेरे जाते ही इसने टी वी का चैनल बदल कर डोरेमोन लगा दिया , मुझे गुस्सा आया तो मैंने काट दिया , गौतम जी ने नन्ही को बोला चलो माफ़ी मांगों दीदी बड़ी हैं न आपसे , नन्ही ने सॉरी दीदी बोला और दोनों बेटियां वहाँ से चली गयी , तभी गौतम जी की पत्नी किचन से चाय बनाकर लाती है , बहुत लाड प्यार में बिगड़ गयी है आपकी लाड़ली नन्ही , गौतम जी हंस कर बोलते हैं , अरे बच्ची है अभी बड़ी होकर खुद बा खुद समझदार हो जाएगी , शाम का वक़्त है गौतम जी अपने बच्चों के साथ छत में टहल रहे हैं , धीरे धीरे अँधेरा बढ़ने लगता है गौतम जी किसी काम से नीचे आ जाते हैं , गौतम जी पत्नी और चुटकी भी नीचे जाने लगते हैं , जाते वक़्त गौतम जी की पत्नी कहती है नन्ही चलो नीचे अँधेरा हो रहा है रात में भूत आजायेगा , नन्ही खिल खिल खिला के हंस पड़ती है , और बोलती है पर पापा तो कहते थे आस्मां में परियां रहती है , और नीचे जाने की जगह अपनी डॉल लिए छत पर दौड़ने लगती है , तभी नन्ही की माँ कहती है रुक जाओ शैतान मैं अभी पापा को बताती हूँ , और नन्ही छत में दौड़ने लगती है , नीचे जाते ही गौतम जी की पत्नी देखती है की गौतम जी फोन में बात कर रहे हैं उनकी पत्नी कुछ कह पाती इससे पहले ही वो जस्ट सेकंड बोल कर पुनः बात करने में लग गए , और बात करते करते लगभग आधा घंटा हो गया था ,बात खत्म होते ही गौतम जी ने बोला नन्ही कहाँ है , गौतम जी की पत्नी ने बोला छत में है आपकी लाड़ली उतरने का नाम ही नहीं ले रही है , और आपको फोन में बात करने से फुर्सत मिले तब न , गौतम जीने कहा बॉस का फोन था कैसे काट देता , रुको मैं अभी नन्ही को लेकर आता हूँ ।

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नन्ही को ढूढ़ते हुए गौतम जी छत पहुंच जाते हैं , मोबाइल की फ़्लैश लाइट्स ऑन करके चारों तरफ देखते हैं , मगर फिर टंकी के पीछे टॉवर में ऊपर जाने वाली सीढ़ी के पास जब वो नन्ही को देखते हैं तो हैरान रह जाते हैं , नन्ही अपनी डॉल के सामने बैठी फ़फ़क फ़फ़क के रो रही थी , और डॉल से बोल रही थी तुम मेरी बेस्ट फ्रेंड हो मैं तुम्हे छोड़ कर कहीं नहीं जाउंगी , गौतम जी नन्ही को फ़ौरन गोद में उठा लेते हैं , और कहते हैं तुम्हे डर नहीं लगता है , चलो नीचे मां तुम्हे लिए पकोड़े तल रही है , अच्छा पापा कहती हुयी नन्ही पापा के साथ नीचे चली जाती है ।

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आधी रात का वक़्त है , घर के सभी सद्श्य लगभग सो चुके हैं , नन्ही गौतम जी के सीने से लगी कुछ बुदबुदा रही है , तभी पापा की मूंछ खींचते हुए , नन्ही पूछती है पापा लोग बेटियों को क्यों मार देते हैं , क्या बेटी होना पाप है , गौतम जी कहते हैं नहीं बेटा बिलकुल नहीं कौन कह रहा था तुमसे ये बात नन्ही टॉय रूम के बेड पर लेटी अपनी डॉल की तरफ इशारा कर रही थी , वो मेरे बेस्ट फ्रेंड हैं न वो कह रही थी , गौतम जीने बोला डॉल भी कभी बोलती है , नन्ही ने तुरंत बोला हाँ बोलती है , मगर जब कोई नहीं देखता तब बोलती है , गौतम जी कहते हैं सो जाओ बेटा बहुत रात हो गयी गयी है , पीठ पर थपकियाँ पाकर नन्ही तो चैन की नींद सो गयी थी मगर नन्ही की बातें गौतम जी के ज़हन में रह रह कर गूँज रही थी ।

नन्ही की बात जैसे गौतम जी के दिमाग में घर कर गयी थी , उन्होंने नन्ही को मनोचिकित्सक के पास ले जाने का निश्चय किया , अगले सन्डे नन्ही को मनोचिकित्सक के पास ले जाया गया , डॉक्टर ने देखने के बाद कुछ दवाइयां दी , और कहा की इसे टी वी देखने से दूर रखे अगर देखें भी तो बस बच्चों के कार्टून्स चैनल्स , डॉक्टर के यहां से लौटने के बाद गौतम जी को लगा की नन्ही के व्यवहार में कुछ बदलाव आ जायेगा । वो लॉन में कुर्सी पर बैठे कुछ सोच ही रहे थे की तभी नन्ही ने बड़े उदास मन से पूछा पापा क्या मैं बीमार हूँ , गौतम जी ने नन्ही को फ़ौरन गोद में उठा लिया और बोले नहीं बेटा फिर नन्ही ने पूछा फिर आप मुझे डॉक्टर के पास क्यों लेकर गए थे , मुझे वो डॉक्टर एक भी अच्छा नहीं लगता कितना खतरनाक था वो कैसे कैसे औज़ार थे उसके पास , कितनी बड़ी सुई थी उसके हाँथ में , गौतम जी कहते हैं वो लोगों की बीमारी ठीक करने के लिए था बेटा , तभी बाहर से नन्ही के फ्रेंड्स की आवाज़ आई और और नन्ही उनके साथ खेलने चली गयी , वहीँ पास खड़ी गौतम जी की पत्नी कहती है क्यों जी गोरखपुर वाले महाराज आये हुए हैं मिश्रा जी के यहां क्यों न हम नन्ही को भी उनके पास लेकर जाएँ , शायद वो हमारी नन्ही को ठीक कर दें , गौतम जी ने कहा तुम भी कहाँ बुढ़िया पुराण में पड़ी हो मॉर्डन युग है आज सभी के बच्चे कान्वेंट स्कूल में पढ़ते हैं , और तुम हो की भूत प्रेत लिए बैठी हो , गौतम जी की बात सुनकर पत्नी का भेजा ठनक गया और वो भुनभुनाते हुए वहाँ से चली गयी ।

दोपहर का वक़्त है गौतम जी की ऑफिस बंद है , आज गौतम जी दोपहर में खाना खाकर आराम कर रहे थे की तभी बाथरूम से चुटकी के चीखने की आवाज़ आई , गौतम जी और उनकी पत्नी दोनों हड़बड़ाहट में दौड़ते हुए बाथ रूम पहुंचे बाथरूम का गेट खुला हुआ था , नन्ही ने दोनों हांथों से चुटकी की गर्दन पकड़ी हुयी है , चुटकी का दम घुटा जा रहा है , वो मम्मी पापा कह कर ज़ोर ज़ोर से रोये जा रही है , बाथरूम में जाते ही गौतम जी ने पहले चुटकी को नन्ही से बचाया फिर नन्ही के गाल पर एक झापड़ रसीद कर दिया और नन्ही ने रोते रोते कहा मेरी डॉल मर जाती तो दीदी उसको टब में डुबो कर मार रही थी , आपने उसे कुछ नहीं कहा सब मेरा दोष देते हैं बस , सभी जान बूझ कर छोटे बच्चों को मारते हैं नन्ही की बात सुनकर गौतम जी को दया आगयी , उन्होंने उसे छाती से लगा कर चुप कराया और उसकी बेस्ट फ्रेंड डॉल में पानी पड़ने की वजह से हुए डैमेज को खुद सुधारा ।

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शाम को उनकी पत्नी ने गोरखपुर वाले गुरु महाराज के पास जाने का निश्चय किया गौतम जी भी तैयार हुए साथ में बच्चों को भी तैयार किया , गुरु जी के दरबार में भक्तों की भीड़ लगी थी , गौतम जी भी बच्चियों के साथ आशीर्वाद लिए , गुरु जी ने गौतम जी को रुकने का आग्रह किया भीड़ ख़त्म होने के बाद अकेले में मिलने के लिए बुलाया , गुरु जी को देखते ही गौतम जी ने एक बार फिर उन्हें प्रणाम किया , इधर नन्ही को जाने क्या शरारत सूझी की वो अपनी डॉल के साथ खेलने में लग गयी , इतने में ही पता नहीं कैसे नन्ही की बेस्ट फ्रेंड डॉल वहाँ से ग़ायब हो गयी , नन्ही ने गौतम जी को उसे ढूँढ कर देने की ज़िद की और आखिर में वो डॉल गार्डन में पड़ी मिली , तब जाकर नन्ही की जान में जान आई , इसके बाद गुरु जी ध्यान लगाने में व्यस्त हो गए तत्पश्चात गुरु जी बताया की , ये जो आपकी छोटी बेटी है उससे आप बहुत परेशान हैं , उसकी हरकते अस्वाभाविक हैं जिसकी वजह उसके साथ हमेशा रहने वाली वो गुड़िया है ,  जिसे आप महज एक साधारण पुतला समझ रहे हैं दर असल उस डॉल में कोई आत्मा है जो नन्ही के द्वारा किये गए क्रियाकलापों को अस्वाभाविक बना देती है । गुरु जी ने ध्यान लगा कर बताया जैसा की मैं देख पा रहा हूँ ।

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जिस हॉस्पिटल में गौतम जी की छोटी बेटी नन्ही का जन्म हुया हुआ था , वही उस बेड के बगल में एक और दूसरी बच्ची का जन्म हुआ था , जन्म के समय नन्ही और उस बच्ची को आस पास ही लेटाया गया था , दोनों बच्चियां एक दूसरे को देखकर हसने में मगन थी , दोनों को एक दूसरे की जिगरी दोस्त बन चुकी थी , मगर उसी रात दूसरी बच्ची की दादी ने उस बच्ची को एक पॉलिथीन में भरकर कचरे में फेंक दिया , क्यों की वो नहीं चाहती थी की उसके घर बेटी का जन्म हो , हॉस्पिटल में हो हंगामा हुआ की किसी ने बच्ची चुरा ली मगर किसी को कुछ पता नहीं चला , उस नन्ही सी जान को तो नहीं बचाया जा सका , मगर जिस पॉलिथीन में उस बच्ची को फेंका गया था , वो पॉलिथीन ज़रूर रीसायकल के द्वारा डॉल फैक्ट्री पहुंच गयी , और उसे एक डॉल का रूप दे दिया गया , अब क्यों की उस बच्ची का आपकी नन्ही के साथ पहले से कनेक्शन था , तो वो उसे पहचान गयी , अब उसकी आत्मा उस डॉल में है , अतः अगर आप नन्ही की भलाई चाहते है तो नन्ही को फ़ौरन डॉल से अलग करना पड़ेगा और उस डॉल का अंतिम संस्कार विधिवत करना पड़ेगा । इधर पेपर में हेड लाइन्स छपती है रात सड़क हादसे में हुयी बुढ़िया की मौत जिसे पढ़कर कर गौतम जी अपनी पत्नी को दिखाते हैं की ये देखो कल यही बुढ़िया न गुरु जी के यहां मिली थी अपनी बहू के लिए पोता होने का आशीर्वाद मांगने आई थी बेचारी , जाने कैसे बेचारी मर गयी , दूसरे ही दिन गौतम जी नन्ही की डॉल की तरह की दूसरी डॉल बाजार से लाकर नन्ही की डॉल को बदल देते हैं , और नन्ही की डॉल का विधिवत अंतिम संस्कार करवाते हैं ताकि उस भटकते हुए जीवात्मा को शांति प्राप्त हो सके ।

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जिस वक़्त मिश्रा जी के घर में सब गुर जी के दर्शन के पश्चात घर लौट रहे थे , उस वक़्त नन्ही की डॉल थोड़ी देर के लिए गायब हो जाती है , उस भीड़ में वो बुढ़िया भी थी जी रिश्ते में उस डॉल की दादी लगती है , जिसने उसे बच्ची रूप में पॉलिथीन में भरकर कचरे के ढेर में फेंका था , डॉल ने उस बुढ़िया की कार का पीछा किया और बुढ़िया की गला दबाकर जान ले ली थी । और उसी हड़बड़ाहट में ड्राइवर ने कार पलटा दी जिसमे वो भी मारा गया ।

pics taken by google ,