hostel 2 a thrill horror short story ,

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हॉस्टल रात के तकरीबन २ बज चुके थे , ९ बजे के बाद हॉस्टल में किसी की एंट्री नहीं होती थी , लेकिन एक शख्स आज

भी ऐसा है जो बेरोक टोंक कहीं भी आ जा सकता है , हॉस्टल की पार्किंग में एक ब्लैक यामाहा बुड बुड बुड करती आकर

खड़ी हो जाती है उसमे से जो शख्स उतरता है , वो देव है लिफ्ट खुद बखुद उसके स्वागत में नीचे चली आती है , देव

लिफ्ट में सवार जाने किस धुन में था , उसने डिब्बे से एक सिगरेट निकाली मुँह में लगाया ही था , की सामने से एक

खूबसूरत सा हाँथ आगे बढ़कर लाइटर लिए हुए सिगरेट जलाने में मदद करता हुआ बोलता है , देव आखिर तुम आज फिर

चले आये , देव ने बोला इतना वक़्त गुज़ारा है इस हॉस्टल में की मर कर भी रूह कहीं और सुकून नहीं पाती है , और देव

बेड पर धड़ाम से गिर जाता है , जाने कब उसकी आँख लग जाती है उसे समझ में नहीं आता ।

 

दिन कब गुज़र जाता है , देव को समझ में ही नहीं आता है , दूसरी रात तकरीबन ८ बजे देव उठता है , फ्रेश होकर आईने

के सामने वो संवर ही रहा होता है की , वही रात वाली लड़की आ धमकती है , देव बहुत जँच रहे हो , देव उसकी तरफ

एक नज़र देखता है और बोलता है तो तुम कल अपने रूम में सोने नहीं गयी , वो लड़की बोलती है देव तुम्हे सोता हुआ

देखना मुझे अच्छा लगता है , इसी लिए इस आईने में ही रात बसर कर ली , तभी वो लड़की बोलती है देखो न देव तुम्हारे

रहते हुए भी मेरे क़ातिल आज भी ४०४ नंबर के फ्लैट में बैठकर जुआ और शराब की पार्टी कर रहे हैं ये बात सुनते ही ,

देव गुस्से से झल्ला जाता है , वो उस लड़की का हाँथ पकड़ कर रूम नो ४०४ में सीधा घुस जाता है , और चिल्लाता है

कमीनो तुम्हे शर्म नहीं आती इस मासूम का इसी कमरे में मर्डर करने के बाद भी इसी कमरे में अय्यासी भी कर रहे हो ,

मगर उन लोगों पर देव की धमकियों का कोई असर नहीं होता है , देव अब वहाँ से जा चुका है , उन लोगों में से एक

बोलता है कोई आया था क्या यहां तो एक बोलता है हाँ आया था मैडम का भूत , कुछ नहीं हवा का झोंका था ।

 

देव आज भी जब अकेला होता है तो रोता ज़रूर है , उसे सोनिया की याद आज भी रह रह कर रुलाती है , बात उन दिनों

की है जब देव पुणे एम् आई टी में फैकल्टी हुआ करता था , एक उसकी गर्ल फ्रेंड जो की मुंबई के कॉल सेंटर में जॉब

करती है , एक लम्बी छुट्टी बिताने के लिए देव के पास पुणे आयी थी , दोनों आराम से छुट्टी इंजॉय कर रहे थे की , एक

दिन अचानक से सोनिया की मम्मी का फोन आया की हम आज तुमसे मिलने मुंबई के लिए निकल दिए हैं कल सुबह

तक पहुंच जायेगे दोपहर के २ बज रहे थे सोनिया ने देव को बताया देव ने तुरत बाइक स्टार्ट की सोनिया को साथ लिया

निकला पड़ा मुंबई के लिए , मगर इत्तेफाकन बाइक मुंबई पुणे एक्सप्रेस हाईवे में जा घुसी , जहां बाइक की एंट्री नहीं

होती है , और हाइवा को ओवर टेक करते हुए ट्रेलर में जा घुसी , वहीँ ऑन द स्पॉट देव की ट्रेलर के नीचे आजाने से मौत

हो गयी , मगर सोनिया बच गयी , देव के दिल में आज भी सोनिया के लिए उतना ही प्यार है , यही एक कारण है की

देव मुंबई का हॉस्टल छोड़ नहीं पा रहा था ,

 

अब जब देव भी मर चुका है तो हॉस्टल में पहले से मौजूद महिला रिपोर्टर की आत्मा जो की देव को पहले से जानती थी ,

उसने देव को सोनिया के प्यार में जीते जी तड़पते देखा था , वो देव से पूछ लेती है देव तुम्हारी सोनिया कैसी है अब , देव

बोलता है नाम मत लो उसका मेरी मौत के बाद वो बेवफा निकली , किसी और के साथ डेट कर रही है , जैसे मेरी मौत

का बेसब्री से इंतज़ार कर रही थी , अब तो उसके मोबाइल में मेरी एक फोटो भी नहीं है उसके , महिला रिपोर्टर का भूत

देव के काँधे पर हाँथ रखता है , देव यही हकीकत है दुनिया की लोग बस ज़िंदा में आपके साथ होते हैं , भूतों का कोई नहीं

होता ,तभी देव गुस्सा होता है और बोलता है मार डालूँगा मैं सोनिया को , तब महिला रिपोर्टर का भूत समझाता है , प्यार

सिर्फ त्याग का नाम है किसी से ज़बरदस्ती कुछ छीनना नहीं , तब देव का गुस्सा कम होता है ,

 

वो महिला रिपोर्टर से पूछता है , जब मैं ज़िंदा था बहुत सुनता था की इस हॉस्टल रू नंबर ४०४ में एक महिला रिपोर्टर का

मर्डर हुआ था और ४०६ में उसे फांसी पर लटका दिया गया था , तब उस महिला रिपोर्टर का भूत रोने लगता है , और

बताता है की बात उन दिनों की है जब ये बिल्डिंग अंडर कंस्ट्रक्शन में थी बिल्डिंग बनाने में जो मटेरियल उपयोग हो रहा

था वो घटिया क्वालिटी का था उसने बिल्डर की पोल खोल दी थी , इसी के चलते बिल्डर ने उसका मर्डर करवा दिया था ,

और वो रोते रोते बोलती है देव तुम इन्साफ पसंद हो मैंने तुम्हे पहले भी कई बार आज़माया था तुम दोस्तों के लिए हमेशा

लड़े हो , मुझे इन्साफ चाहिए देव , क्या तुम मेरी मदद नहीं करोगे देव ।

ये बिल्डिंग कभी भी गिर सकती है , इसे खाली करवाओ इसमें रहने वाले सैकड़ों लोग इस बात से अन्जान हैं की वो कब

मौत के मुँह में समां जाएँ , देव बोलता है मैं तो पहले ही मर चुका हूँ मैं कैसे लोगों को बचाऊं , तब महिला पत्रकार बोलती

है तुम चाहो तो ये बिल्डिंग खाली हो सकती है , इस बिल्डिंग के लोग मरने से बच सकते हैं , बस तुम्हे एक काम करना

होगा किसी भी तरह इस बिल्डिंग को खाली करवाना होगा एक भी आदमी जब इस बिल्डिंग में न हो तब हम इसे गिरा

देंगे और सैकड़ों लोगों की जान बच जायेगी , देव उस महिला पत्रकार की बात सुनकर मुस्कुराता है , और वहाँ से चला

जाता है ,

दूसरा दिन रात के तकरीबन ११ बज चुके हैं , हॉस्टल के गेट पर एक शख्स की एंट्री होती है वो लड़खड़ाती आवाज़ में

बोलता है बच्चन जी गेट खोलिये . बच्चन जी गेट खोलते हैं सलाम वीरू जी करते हैं और वीरू जी के लिए लिफ्ट नीचे

आती है वीरू जी अपने रूम में चले जाते हैं , वीरू देव का रूम पार्टनर है और वार्डन विजेकर का पैड चेला , देव की मौत

के बाद वीरू पूरी तरह से टूट चुका था , जब तक देव ज़िंदा था गोरेगांव का शायद ही ऐसा कोई बार रहा होगा जहां देव ने

वीरू को बिठाकर शराब न पिलाई रही होगी , वीरू रूम में जाता है बेड पर धड़ाम से गिर जाता है , कुछ देर तक आँख बंद

रखता है तभी , वीरू को महसूस होता है उसके बाजू में कोई लेटा हुआ है , वीरू आँख खोलता है सामने देव का चेहरा देख

कर वो दंग रह जाता है , , वीरू बोलता है देव मेरा भाई कहाँ चला गया था तू , तेरे बिना मैं कितना अकेला हो गया था ,

देव मुस्कुराता हुआ बोलता है कहीं नहीं यही था मेरे भाई तुझे , छोड़ कर मैं, कैसे जा सकता हूँ,

 

देव और वीरू गले लिपटकर खूब रोते हैं , देव बोलता है और बता क्या चल रहा है हॉस्टल में मेरे जाने के बाद तो तुम

लोगों ने खूब मस्ती की होगी , वीरू बोलता है नहीं यार खडूस विजेकर है न , साला कुछ करने ही नहीं देता देव बोलता है

तेरी तो खूब बनती है विजेकर से , तेरी तो हर बात मानता है वार्डन , हाँ वो तो अब भी मानता है , देव बोलता है मेरा एक

काम करेगा वीरू बोलता है एक नहीं सौ काम करुगा , तू बता तो मेरे यार मेरे भाई देव आई लव यू यार , देव बोलता है ,

वार्डन आर्मी रिटायर्ड है न वीरू बोलता है हाँ यार तभी तो इतना खडूस है , देव बोलता है तू उसको बोल सर आप यहां के

लड़कों के लिए इंस्पिरेशन हो आप कुछ नया सिखाइये ताकि हम आपकी सिखाई बातों का अपने जीवन में कुछ अच्छा

उपयोग कर सकें ,

 

वीरू विजेकर के पास जाता है उसकी तारीफ में कसीदे कसता है विजेकर फूल कर कुप्पा हो जाता है , २६ जनवरी का दिन

विजेकर , आज विजेकर फुल आर्मी की ड्रेस में , सारा का सारा ग्राउंड फ्लोर कुर्सियॉं से खचाखच भरा हुआ है , सिर्फ ४०४

में जो लोग आकर रात भर जुआँ शराब की अय्यासी करते हैं वो अभी तक नहीं उठे हैं , और वीरू उनके दरवाजे का

एलड्रॉप बाहर से बंद कर देता है विजेकर पहले सबको सेल्फ डिफेन्स के टिप्स देता है , फिर सांप काट देतो बचने के

उपाय बताता है , लोग उसकी वाह वाही में ताली बजाते हैं , अब विजेकर सबको फायर फाइटिंग के टिप्स देने के लिए

बिल्डिंग के २० फुट चौड़े पार्किंग स्पॉट में ले जाता है , एक तगाड़ी में कुछ लकड़ी की टुकड़े डालकर आग लगाने की

कोशिश की जाती है मगर आग नहीं लगती है , तो उसमे बरसों पुराना हॉस्टल में रखा पेंट का डब्बा उड़ेल दिया जाता है ,

आग भड़क जाती है ,

bhoot pret ki kahani hindi,

विजेकर उस पर अग्निशामक यंत्र से गैस छोड़ता है आग थोड़ा बुझती है और पेंट के छींटे उछल कर विजेकर के ड्रेस में आ

लगते है , विजेकर ओह शिट करता हुआ भागता है तभी आग विकराल रूप धारण कर लेती है , आग ग्राउंड फ्लोर को

अपनी चपेट में लेती हुयी फर्स्ट फ्लोर फिर सेकंड फ्लोर फिर थर्ड फ्लोर तक पहुंच जाती है मगर विजेकर फायर ब्रिगेड को

फोन नहीं लगाता है , क्यों की आग तो उसी ने लगाई है , आजु बाजु की बिल्डिंग वाले फोन लगाते हैं , तब तक आग ४

फ्लोर भी ख़ाक करती हुयी ५ वीं मंज़िल तक पहुंच चुकी थी ,४०४ नंबर फ्लैट के अय्यासी भी जलकर ख़ाक हो चुके थे ,

पुलिस भी आजाती है इंविस्टिगेशन में विजेकर को दोषी पाया जाता है , और विजेकर को जेल हो जाती है , इस तरह

रिपोर्टर महिला का इन्तेक़ाम पूरा हो जाता है , उसकी आत्मा देव को बाय करती हुयी आसमान की तरफ उड़ती चली

जाती है । देव भी नम आँखों से विदा करता हुआ , अपनी बाइक स्टार्ट करके जाने कहाँ धुएं में गुम हो जाता है ।

 

pix taken by google