quotes on darkness in hindi ये ज़ौक़ ए आतिशी ही है ,
ये ज़ौक़ ए आतिशी ही है ,
जो तूफानों ओ तीरगी में भी दिलों के अरमान जलाये रखती है ।
चंद बूँदें प्यास लब की भी न बुझा पाईं ,
दिल के अंदर तो सूखा हुआ समंदर है ।
दर ओ दीवार पर सज़दे में सर झुकाये दिखता है हर कोई ,
तू गर ख़ुदा ए मोहब्बत है तो मौजूद ए हस्ती सा मिलता कभी क्यों नहीं ।
जो शामिल हैं कारवां ए मोहब्बत में उन्ही का हाल पूछो ,
जो निकले ही नहीं घरों से उन्हें चुप चाप सोने दो ।
बो रहे हैं जो नफ़रतों के फ़स्ल ए गुल उनको उखाड़िये ,
अब बुज़ुर्गियत पर दारोमदार है नश्ले सम्हालिए ।
ख़्वाबों की दुनिया भी तिलस्माती है ,
हकीकत ए रूदाद से सरोकार नहीं ।
लब से निकली जो सदा वो कहाँ फज़ूल हुयी ,
तेरे सज़दे में सर झुका मेरे मौला दुआ क़बूल हुयी ।
यूँ ही न हुआ हकीकत ए रूदाद ही कभी ,
ज़िन्दगी भर मोहब्बत का फ़लसफ़ा फ़लसफ़ा ए मोहब्बत ही रहा ।
ज़माने के कारोबार में थक के चूर हो गया ,
सबको लगा वो शख्स मग़रूर हो गया ।
अंजुमन में सुबह सुबह का मिजाज़ ताज़ा है ,
शबनमी रात में सबा ए गुल निखर के आई है ।
हमने साया समझ कर दरख्तों तले पनाह पायी थी ,
आस्मां की बिजलियों से ये भी देखा न गया ।
नज़रों के सामने से गुजरने का मौका तो देकर देखो ,
लोग दिल में भी आशियाना बना लेते हैं ।
उम्मीद ए वस्ल में गुज़र गयी उम्रें अपनी ,
बाद रुख़्सत के भी ईद आई गोया दीदा ए यार न हुआ ।
शब् ए बज़्म का हर रोज़ तमाशा ये हुआ ,
दिल बुझा कर महफ़िलों में तमाशा सा हुआ ।
कब तक छुपाये रखते रंग ए लहू गुलाल ,
जब अश्क़ों में उतर आये दिल में छुपे ग़म ए गुबार ।
यही रहा अंजाम ए इश्क़ का फ़लसफ़ा हरसू ,
रात चाँद तारों में कटी दिन महफ़िल ए रानाईयों में भी तन्हा रहा ।
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