quotes on darkness in hindi जज़्बा ए दिल से सोचना बंद कर दिया मैंने ,
जज़्बा ए दिल से सोचना बंद कर दिया मैंने ,
नज़र ए क़ातिलाना से ज़ख़्मी हज़ार मिलते हैं ।
रो रोके आपने मोहब्बत ए दास्तान सुनायी ,
अब खून ए जिगर से हम हाल ए दिल बयान करेंगे ।
मय में अब वो मैकशी नहीं ग़ालिब ,
जो उन शोख निगाहों की गुफ़तगू ए ग़ज़ल में है ।
एक बला की सादगी थी उस महज़बीन में ,
खामोशियों को अल्फ़ाज़ बना देती थी बस चंद लम्हों में ।
जब तेरा नक़्श मेरे अश्क़ों में उतर आता है ,
मौसम ए हिज्र में भी वादिये गुल और निखर जाता है ।
लफ़्ज़ों में तौल लेते हैं खुशियाँ अपनी ,
दिल के ज़ख्मों का शायरी से बेहतर कोई इलाज़ नहीं होता ।
हर दास्तान ए मोहब्बत का यही अंजाम रहा ,
दर्द सीने में दबाये रखे होठों पर बस महबूब ए खुदा का नाम रहा ।
वादा ख़िलाफ़ी हमारी फ़ितरत में न थी ,
हर हुकुम को सर आँखों में रख कर बस दरबार ए हुश्न में सीधा सर को झुका लिया ।
बोलते लफ़्ज़ों की ग़ज़ल समझ में आती है ,
दिल में छुपा रखी है जो मोहब्बत की कशक बिन कहे वो भी तो छलक जाती है ।
चलता रहा हूँ हर दम मंज़िल ए मक़सूद की तरह ,
पत्थरों के शहर में न राहें न हमसफ़र ।
समंदर ने छुपा रखे थे तह ए दिल में उन्माद कई ,
पत्थरों पर पटकती है कदम जब लहरें शब् ए बज़्म कोई सरगम खुद बा खुद संवर जाती है ।
उन्वान में कुछ सूरत ए दीदा में कुछ और नज़र आते हैं ,
आजकल साहेब ए सरकार क़ातिलों के शहर में बेख़ौफ़ गुज़र जाते हैं ।
शहर का शहर कूद पड़ा बेहयाई की नुमाईश दिखाने में ,
आज के लोगों में इतनी भुखमरी है क्या ।
सोच रहा हूँ मैं भी कुछ ग़ज़ल लिखूं ,
गोया तकाज़ा ए नज़र कहती है हाल ए दिल लिखूं या लब पे जो है बस वही फ़ज़ल लिखूं ।
pix taken by google ,