romantic shayari सज़र पर चाँद अटक जाये ख़ुशी हो न हो ,
सज़र पर चाँद अटक जाये ख़ुशी हो न हो ,
फलक से आफत ए शब् निकल जाये गयी बात कहो ।
घुटती हैं इंसानियत की साँसे आदम की बस्ती में ,
यहाँ मुर्दों के हिस्से में ज़मीन बराबर की चाहिए ।
है इल्ज़ाम मेरे सर पर मेरे क़त्ल का दोस्तों ,
ज़िंदा रह कर कोई कैसे अपने क़फ़न का इन्तेज़ाम करेगा ।
आते हैं ज़माने में ज़राफ़त के वास्ते ,
कौन हाल ए मुक़म्मल पर यहां मिलने को है आया ।
मेरे हिस्से का जिस्म जलता नहीं ,
तेरी ज़ीस्त का हर लम्स मुझसे रोता रहता है ।
सियासी इल्म कहता है तुम बोली ऊँची लगाओ ,
यहाँ हर हाल में बस हिंदुस्तान बिकना चाहिए ।
अक़्स शीसे पर बनाना मिटाना तेरा ,
दिल को नागवारा गुज़रा गुज़रे लम्हे से गुज़र जाना तेरा ।
दूसरों की माँदें झाँकी कितनी ,
ख़ुद के दिल में जाने कितने अरमान मंद पड़े हैं ।
नीवों में दबी ईंट पूछती हैं ,
पुर्खातन की इमारतों में कैसे दस्तकारी है ।
टुकड़े भी लूट लेते हैं मुर्दों के जिस्म से ,
आदम ए बस्ती में पिंजर ही बच सका सारा गोश्त लुट गया ।
ख़ुद की हस्ती मिटाकर मौत का सौदागर ,
अपना क़फ़न खरीदने आदम ए बस्ती में आया है ।
तुम भी साथ चलते रहबर बनकर ,
अंधेरों के पलछिन को अपनों का सहारा होता ।
हमने कब सारा आसमान माँगा था ,
बदलियों की ओट से एक चाँद गवारा न हुआ ।
चरागों को जलाते बुझाते रहना ,
आँख लग जाए तो भी मरीज़ ए दाना को हाल ए दिल जताना ज़रूरी है ।
हमको चरागों से रश्म ए उल्फ़त है ,
जलते सरारों से मस्लहत ए दानाई परवाह करें ।
कैसी मदहोशी कैसी ख़ानाबदोशी है ,
रात की तिश्नगी दिलों की बर्बादियों में आमादा है ।
रात के अंधेरों को आबाद रखा हूँ ,
उम्मीदों के चराग बुझने न पाएँ दिल को जलाये रखा हूँ ।
मिलती होगी ज़माने भर से तबीयत उनकी ,
कमबख्त अपनी ख़ुद से तबीयत नहीं मिलती ।
pix taken by google
[…] https://www.pushpendradwivedi.com/%e0%a4%b8%e0%a4%9c%e0%a4%bc%e0%a4%b0-%e0%a4%aa%e0%a4%b0-%e0%a4%9a%e… […]