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एक खण्डहर नुमा बिल्डिंग में एक लड़की ऊपर की तरफ बनी हुयी सीढ़ियों पर चढ़ी जा रही है शायद उस बिल्डिंग की सीढ़ियों का अंत नरक पर जाकर होता था , तभी एक दरवाज़े के सामने पहुंचते ही द्वार से एक हाँथ निकलता है और उस लड़की को अंदर की और खींच लेता है , तभी एक आवाज़ गूंजती है , वेलकम तो हेल और नताशा की नींद एक भयानक सपने के साथ खुल जाती है सुबह के ६ बज चुके है , आज सेंसर बोर्ड की ऑफिस में जॉइनिंग का पहला दिन है नताशा वो तैयार होकर ऑफिस के लिए निकलती है ।
केंद्रीय फिल्म प्रमारण बोर्ड में नताशा की जॉइनिंग का आज पहला दिन था , लिफ्ट किसी वजह से गड़बड़ थी ,जिसके चलते उसे अपने ऑफिस तक जो की ६ फ्लोर पर था पैदल ही चढ़ कर जाना था , नताशा ने अभी ४ फ्लोर ही चढ़े होंगे की तभी उसे पीछे से एक आवाज़ सुनाई देती है , ऐसा लगता है जैसे कोई उसे दीदी बुला रहा है , मगर जैसे ही नताशा पलट कर देखती है , पीछे कोई दिखाई नहीं देता है , और तभी बिल्डिंग के आठवें फ्लोर से कोई चीज़ बेहद रफ़्तार के साथ धड़ाम की आवाज़ के साथ ग्राउण्ड फ्लोर पर जाकर गिरती है , नताशा सीढ़ियों से नीचे झांकती है मगर कुछ दिखाई नहीं देता है , वो इस घटना को सीरियस नहीं लेती है ,अभी उसकी बहन दिव्या की मौत हुए ज़्यादा दिन नहीं हुए थे , वो इसे मन का वहां समझ कर अनदेखा कर देती है , और अपने ऑफिस में चली जाती है , दोपहर का वक़्त नताशा अपने केबिन में अकेली कुछ फिल्मों की काट छांट का मुआइना कर रही है , की तभी एक तेज़ हवा का झोका आता है और कमरे में रखे पन्ने हवा में उड़ने लगते है और कुछ पन्ने कांच की खिड़की पर जाकर चिपक जाते हैं नताशा पन्ने इकट्ठे करने के लिए जैसे ही खिड़की के पास जाती है , खिड़की के काँच पर एक ज़ख़्मी लड़की तड़पती हुयी हाँथ मारती है जिसे देखकर नताशा डर जाती है वो घायल लड़की नताशा से कुछ कहना चाहती है मगर नताशा इतना डरी हुयी रहती है की चीख पड़ती है तभी वॉचमैन दरवाज़ा खोलता है , पूछता है क्या हुआ मेमसाब आप ठीक तो हैं न नताशा कहती है आई एम् ओके और वॉचमैन वहां से चला जाता है ,
शाम का वक़्त है आसमान का मिजाज़ कुछ ठीक नहीं है लगता है जोरों की बारिश होने वाली है जनरल मीटिंग में कुछफिल्म्स और सीरियल्स के सीन कट करने के बाद कुछ की फाइनल एडिटिंग अभी बाकी थी की तभी जाने माने प्रोडूसर खन्ना क्रिएशन्स के असिस्टेंट का फोन आ जाता है , नताशा फोन उठाती है वो शख्स बोलता है मैं खन्ना साहेब का असिस्टेंट बोल रहा हूँ , सर ने पिछले फ्राइडे की पेज ३ की पार्टी में आपका काफी वेट किया मगर आप नहीं आईं , नताशा ने जवाब दिया मुझे पार्टीज में जाना पसंद नहीं है , उधर से जवाब आया मैडम वो खन्ना क्रिएशन्स की जो फिल्म है ज़रा आराम से एडिट कीजिये अब आप तो अच्छी तरह से जानती है की मार्केट में जो बिकता है वही हम बनाते हैं , नताशा कहती है देखिये मिस्टर बोर्ड ऑफ़ डायरेक्टर्स का निर्णय होगा वही सर्वमान्य होगा और आप ज़्यादा चापलूसी बताने की कोशिश न करें , सामने से जवाब आता है मैडम इसमें नाराज़ होने की क्या बात है , कुछ ले देकर एडिटिंग रुकवा दीजिये , नताशा कहती है आप बहुत बद्तमीज़ किश्म के आदमी है लगता है मुझे पुलिस को इन्फॉर्म करना पड़ेगा और फोन कट हो जाता है । नताशा कुछ मूवीज की कॉपी कलेक्ट कर रही थी की उसे हाल ही में रिलीज़ हुयी एक फिल्म की कॉपी मिल जाती है , वो उसे भी अपने पेन ड्राइव में लेती है और ऑफिस से चली जाती है ।
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दीवाल पर लगी टी . वी . पर एक फिल्म चल रही है , नताशा कुर्शी पर बैठी है सामने टी टेबल पर व्हिस्की का ग्लास अभी भी आधा भरा हुआ था , तभी रसोई से आवाज़ आती है , मैं जाती है मेमसाहेब कल सुबह को आएगी आप अपना ख्याल रखना खाना रख दिया है , और खाना खा लेना कल की तरह भूखे मत सो जाना , रज़ामंदी में नताशा सर हिलाती है , और आप भी न शांता ताई कहती हुयी व्हिस्की का एक घूँट पीती है , और न जाने कब उसकी आँख लग जाती है , फिर अचानक रूम की लाइट्स लपलुप होने लगती है , टीवी पर चल रही फिल्म झिलमिलाने लग जाती है , तभी नताशा की आँख खुलती है , सामने टीवी स्क्रीन पर जो चल रहा है वो देख कर हैरान रह जाती है , एक लड़की सीढ़ियों से सेंसर बोर्ड के सातवें माले के पास खड़ी होकर शराब पी रही है की अचानक , वो लड़की सातवें माले से सीधे ग्राउंड फ्लोर पर धड़ाम से गिर जाती है , तभी नताशा के मुँह से एक नाम दिव्या का निकल पड़ता है और नताशा रो पड़ती है , स्क्रीन पर दिखने वाली लड़की कोई और नहीं नताशा की छोटी बहन दिव्या थी , बेहद प्यार था दोनों बहनो में
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दिव्या नताशा से ४ साल छोटी थी , दोनों लखनऊ में पले बढे वहीँ शिक्षा दीक्षा ग्रहण किये थे , नताशा फाइन आर्ट्स से थी उसकी मुंबई के एक प्रोडक्शन हाउस में एक्सक्यूटिव प्रोडूसर की जॉब लग गयी , और नताशा मुंबई में रहने लगी , दिव्या को एक्टिंग का का बहुत शौक था , उसने थिएटर ज्वाइन किया हुआ था , काफी मजी हुयी कलाकार थी वो , नताशा के प्रोडक्शन हाउस में उन दिनों सीरियल की कास्टिंग चल रही थी नताशा ने दिव्या को मुंबई बुला लिया दिव्या ने भी ऑडिशन दिया और वो सेलेक्ट हो गयी , उन दिनों गिने चुने ही चैनल्स हुआ करते थे , दिव्या काफी टैलेंटेड थी , धीरे धीरे वो दूसरे सीरियल्स पाती गयी इसी तरह मेहनत और लगन के दम पर एक दिन वो भी वक़्त आ गया , जब दिव्या फिल्म में एंट्री कर गयी अब वो बड़ी स्टार बन चुकी थी , बड़ी बड़ी पेज ३ की पार्टी में जाना बड़े बड़े लोगों से मेल जोल बढ़ाना उसका शौक बन गया था , वहीँ कॉर्पोरेट सेक्टर में कुछ ऐसी उथल पुथल मच रही थी की जिसका अंदाज़ा किसी को नहीं था , दिव्या के स्टार डम की वजह से कई बड़े बड़े प्रोडूसर्स को अपने बेटे बेटियों को लांच करने का मौका ही नहीं मिल पा रहा था , जिसके चलते दिव्या पर प्रेशर बनाया जा रहा था की वो अब खुद चैरेक्टर आर्टिस्ट के रोल करे , और उसके हाँथ से कई बड़े बैनर की फ़िल्में भी छीन ली गयी थी , नताशा इन सब गतिविधियों से भलीभांति अवगत थी , बात उन उन दिनों की है जब एक सेमीनार के लिए नताशा को लंदन जाना पड़ गया । और लंदन एक्सप्रेस न्यूज़ में नताशा को दिव्या को मौत की खबर छपी मिलती है , जिसकी हेड लाइन्स में लिखा था मशहूर बॉलीवुड अभिनेत्री दिव्या ने की बहुमंज़िला ईमारत से कूद कर आत्म हत्या , इस खबर को पढ़ कर नताशा हतप्रभ रह जाती है ।
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खन्ना क्रिएशन के ऑफिस का वो रूम जो कास्टिंग काउच के लिए मशहूर था , रात के १२ बजे चुके थे , घर से बार बार बीवी का फोन आ रहा है था मगर जे. के . खन्ना को फोन रिसीव करने का वक़्त ही नहीं था , खन्ना साहब फ्लैट में अकेले ही बचे थे , शायद बहुत ज़्यादा टेंशन में थे , अगले शुक्रवार उनकी मूवी का प्रीमियर है , जो की अभी सेंसर बोर्ड में अटकी है , उनके चहेते नेता बत्रा साहेब भी अब मंत्री पद पर नहीं रहे , वो रहते तो कुछ ले दे कर उनकी फिल्म सेंसर की काँट छांट से बच जाती , मगर ऐसा कुछ हुआ नहीं , और ख़ास बात ये थी की इस फील में उन्होंने अपने बेटे को लांच किया था जिससे एक्टिंग की ए बी सी डी भी नहीं आती थी ,
खैर खन्ना कुर्सी पर बैठा कुछ सोच ही रहा था , की तभी रूम का दरवाज़ा खुलता है , खन्ना शराब के नशे में बिना कुछ देखे ही बोल पड़ता है डोंट डिस्टर्ब मी , और दरवाज़ा धड़ाम से बंद हो जाता है , तभी रूम की लाइट लपलुप होने लगती है , खन्ना घबराता है , वो वॉचमन को आवाज़ लगता है , मगर उसकी आवाज़ वहाँ कोई सुनने वाला था ही नहीं , अचानक खन्ना जैसे पलटता है सामने खून से लथपथ सफ़ेद साड़ी में दिव्या को देखकर डर जाता है , वो दिव्या से बोलता है तुम , नहीं तुम तो मर चुकी थी , मगर दिव्या कोई जवाब नहीं देती है , वो खन्ना की गर्दन पकड़ कर सीलिंग की ऊँचाई तक उठा देती है , और सामने दीवाल पर लगी टीवी पर पटक देती है जिससे टीवी का स्क्रीन चकना चूर हो जाता है और खन्ना का जिस्म लहू लुहान हो जाता है , खन्ना हाँथ जोड़कर उससे माफी मांगता है मगर दिव्या कुछ नहीं सुनती है इस बार वो उसे खिड़की की तरफ फेकती है और खिड़की का कांच टूट जाता है , जिससे खन्ना का शरीर सीधा आकर गार्डन की ज़मीन पर गिरता है , बिल्डिंग में हड़कंप मच जाता है , पुलिस आती है पंचनामा करती है ।
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नताशा सुबह जब न्यूज़ चैनल्स में खन्ना के मौत की खबर पढ़ती है तो हैरान रह जाती है , उसे यकीन नहीं होता है खन्ना जैसा कमीना प्रोडूसर इतनी आसानी से आत्महत्या भी कर सकता है , खैर दिन गुज़रते हैं वर्मा फिल्म एंडस कम्बाइंस की एक फिल्म पर किसी राइटर ने कॉपी राइट एक्ट के तहत केस ठोंक रखा था , चूंकि वो राइटर बहुत बड़ा नहीं था इस लिए वर्मा ने तो पहले उसे कुछ ले देकर चुप होने को कहा जब बात नहीं बानी तो अपने वकील के माध्यम से उसका केस ही खारिज करवा दिया , अब वो बेधड़क अपनी फिल्म से कमाई कर रहा था , ये बात नताशा को पता थी , मगर वो चाहकर भी कुछ कर नहीं सकती थी , उसने फिल्म को रोकने के लिए बोर्ड ऑफ़ डायरेक्टर्स की मीटिंग भी ली मगर किसी ने उसका साथ नहीं दिया , और नताशा अकेली चाहकर भी कुछ नहीं कर पा रही थी ,
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ऑफिस का काम ख़त्म कर वर्मा का फॉर्म हाउस जाने का प्लान था , वो अकेला ही जुहू से वसई के लिए रवाना होता शाम ढल चुकी है कार में धीमा धीमा ऍफ़ एम् का साउंड बज रहा है , अँधेरा होने वाला है तभी सामने से आ रहे ट्रक की लाइट वर्मा की कार पर पड़ती है , सामने वाले मिरर में पिछली सीट पर बैठी खून से लथपथ दिव्या दिखाई देती है , वर्मा डर जाता है , वो कार को और तेज़ भगाता है तभी दिव्या पिछली सीट से बाजू वाली अगली सीट पर आजाती है जिससे वर्मा पसीने पसीने हो जाता है , और हड़बड़ाहट में वर्मा की कार एक डिवाइडर से टकरा जाती है , और कार जल कर राख हो जाती है , इधर न्यूज़ चैनल्स में हादसे में हुए वर्मा फिल्म्स के प्रोडूसर की मौत की खबर चलने लगती है , न्यूज़ देख कर नताशा को आश्चर्य होता है , वो कहती है आई कांट बिलीव इट , ये कैसे हो सकता है इतना कमीना इंसान इतनी आसानी से कैसे मर सकता है ।
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नताशा गहरी नींद में सो रही है , मगर आज फिर वही सपना दिखाई देता है एक खण्डहर नुमा बिल्डिंग में एक लड़की ऊपर की तरफ बनी हुयी सीढ़ियों पर चढ़ी जा रही है शायद उस बिल्डिंग की सीढ़ियों का अंत नरक पर जाकर होता था , तभी एक दरवाज़े के सामने पहुंचते ही द्वार से एक हाँथ निकलता है और उस लड़की को अंदर की और खींच लेता है , तभी एक आवाज़ गूंजती है , वेलकम तो हेल और आज नताशा की नींद नहीं खुलती है बल्कि उस हेल वाले फ्लोर पर चल रही बॉलीवुड की आलीशान पार्टी तक पहुंच जाती है , जहां नशे में डूबे फ़िल्मी सितारे पॉलिटिसिअन्स बड़े बड़े बिजनेसमैन पुलिस अधिकारी और कॉर्पोरेट जगत की जानी मानी हस्तियां शामिल थी , कई नए तरह के नशे की लॉन्चिंग के लिए टीनएजर्स मॉडल्स को भी इन्वाइट किया गया था , इन्ही पार्टीज के बीच आगे चलते चलते नताशा को एक ऐसा कमरा दिखाई देता है जहां रेड लाइट्स में कुछ जाने माने प्रोडूसर्स खन्ना , वर्मा , कपूर , और खान ब्रदर्स और कॉर्पोरेट्स जगत की जानी मानी हस्तियों के बीच कुछ ज़रूरी बात पर बहस चल रही थी , वहां दिव्या भी मौजूद थी , सभी दिव्या को समझाने की कोशिश कर रहे थे , मगर दिव्या उनकी बात मानने को तैयार नहीं थी ,
पार्टी धीरे धीरे ख़त्म हो रही थी , हाल से लगभग सभी लोग जा चुके थे , मीटिंग रूम से भी एक एक करके लोग निकल रहे थे , दिव्या भी नशे में चूर लड़खड़ाती हुयी रूम से बाहर निकल रही थी , मगर लिफ्ट को वापस आने में लेट होने की वजह से वो थोड़ा सीढ़ियों के पास रुक जाती है, वो सीढ़ियों से नीचे की तरफ झांकती है कुछ भद्दी भद्दी गालियां देती है तभी पीछे से एक शख्स , दिव्या को सीढ़ियों से सीधा नीचे फेंक देता है , और एक भयानक चीख के साथ नताशा की नींद खुल जाती है , नताशा पसीना पसीना हो जाती है , इस सपने के बाद नताशा निश्चय करती है वो अपनी बहन को इन्साफ दिलाकर रहेगी , वो उस पार्टी के रियल फुटेज ढूढ़ने के लिए मीडिया पर ज़ोर बनाती है , अंततः काफी प्रयासों के बाद फुटेज मिल भी जाती है , नताशा अपनी बहन दिव्या मर्डर केस को रीओपन करवाती है मगर कोर्ट में वीडियो फुटेज से कुछ ख़ास शाबित नहीं हो पाता है ,
और अंततः सभी आरोपी बाइज़्ज़त बरी हो जाते हैं , इस घटना से नताशा अंदर तक टूट जाती है , एक शाम टेर्रिस पर बैठी कुछ सोच रही थी की अचानक उसकी नज़र टीवी पर चल रहे म्यूज़िक चैनल के एक एड पर पड़ती है जिसमे उसे दिव्या का फ्रेंड रणविजय दिखाई देता है , जिसकी एक बहुत बड़े बजट की फिल्म आने वाली है , नताशा को लगता है ये लड़का दिव्या के साथ लखनऊ में थिएटर करता था , अचानक ये इतनी बड़ी फिल्म कैसे पा गया , वो रणविजय की फेस बुक प्रोफाइल खंगालती है , जिसमे दिव्या के साथ उसके फुटेज मिलते हैं , उसे शक होता है हो न हो दिव्या की मौत में रणविजय का हाँथ है , वो रणविजय को व्हाट्सअप्प में कॉन्ग्रैट्स करती है और नेक्स्ट उसको अपनी ऑफिस में बुलाती है , रणविजय तो पहले मिलने में आनाकानी करता है मगर जब नताशा कहती है की तुम्हारी फिल्म की रिलीजिंग में कुछ अड़चन है, तब वो नताशा से मीटिंग के लिए तैयार हो जाता है ,
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सामने रणविजय कुर्सी पर सर झुकाये बैठा है , नताशा एक बार फिर उसे मुबरक बाद देती है , और कहती इतनी आसानी से तुम कपूर एंड ग्रैंडसंस की मूवी पा गए , बड़ा इम्पॉसिबल है , जो तुम्हारे बैकअप के बारे में जानता है उसे तो आश्चर्य होगा ही , रणविजय कुछ नहीं बोलता है , तुम लखनऊ में दिव्या के साथ ही थिएटर करते थे न , तुम सुरु से दिव्या के बहुत क्लोज थे , मुझे पता है , दिव्या अब इस दुनिया में नहीं है , क्या जानते हो तुम दिव्या की मौत के बारे में रणविजय कहता है मेरा दिव्या से कोई लेना देना नहीं था , हम सिर्फ अच्छे दोस्त थे , नताशा कहती है देखो रणविजय मुझे पता है उस रात पार्टी में दिव्या के साथ तुम भी थे , जिस रात दिव्या की मौत हुयी , रणविजय कहता है हाँ था मगर मैं तो पहले ही चला आया था , नताशा कहती है झूठ मत बोलो रणविजय तुम पहले नहीं चले आये तुम्हे रोका गया था , तुम छुपे हुए थे उस रूम में जहां दिव्या ने तुम्हारी प्रोडूसर्स के साथ मीटिंग करवाई थी ,
क्या हुआ था उस मीटिंग में मुझे सच सच बताओ , रणविजय एक कुटिल मुस्कान हँसता है , अपनी कुर्सी से उठता है , और एक कमीनेपन वाली हंसी के साथ कहता है क्या कर लोगी तुम , हाँ प्रोडूसर्स के साथ मैंने मिल कर मारा था दिव्या को कॉर्पोरेट जगत के लिए आँख की किरकिरी बन गयी थी , उसके भाव सातवें आसमान पर थे , बहुतो का कैरियर चौपट कर रखी थी तुम्हारी बहन , मर गयी न अब सब शांत हो गया , क्या सबूत है तुम्हारे पास क्या बिगाड़ लोगी तुम , कुछ नहीं बिगाड़ सकती , ये बहुत बड़े बड़े लोग हैं जो चाहते हैं वो करते हैं किसी का कैरियर बनाना बिगड़ना इनके लिए दो मिनिट का काम है , बहुत छोटे लोग हो तुम सब तुम्हे भी दिव्या के पास जाना होगा नताशा तुम बहुत कुछ जान चुकी हो जो तुम्हे नहीं जानना चाहिए था , और जेब में रखी रिवाल्वर वो नताशा की कनपटी में अड़ा देता है , तभी रूम की खिड़कियाँ एक भयानक झोके के साथ अपने आप खुल जाती है , और सामने दिखती है दिव्या की वो भटकती रूह जो बरसों से अपने गुनहगारों को तलाश रही थी, दिव्या को वहाँ पर देख रणविजय डर से काँप जाता है , दिव्या रणविजय की रिवाल्वर उसकी ही कनपटी में तान देती है और ट्रिगर दबते ही गोली रणविजय के भेजे को चीरती हुयी खिड़की से बाहर चली जाती है , इसके बाद धड़ाम से रणविजय का जिस्म फर्श पर गिर जाता है , लोग आते हैं पुलिस बुलाई जाती है , पंचनामा होता है और दूसरे दिन अखबार में छपता है , उभरते हुए कलाकार रणविजय ने खुद को मारी गोली , आखिर क्या करण था की रणविजय ने की आत्म हत्या । कुछ दिनों तक हर न्यूज़ चैनल्स की सुर्ख़ियों में रणविजय की मौर की खबर चलती है और सब फिर पहले जैसा हो जाता है ।
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