urdu quotes in hindi कम्बख़्त ये दौर ए उल्फत भी अजीब चीज़ हुआ करती है ,
कम्बख़्त ये दौर ए उल्फत भी अजीब चीज़ हुआ करती है ,
लोग उजाले तलाश करते हैं ये अंधेरों में परवान चढ़ा करती है ।
जब ये ज़हन की आग लफ़्ज़ों में ढल जाएगी ,
हर नज़ारा होगा ख़ूबरू मौसम ए नौ बहार में फ़स्ल ए गुल नए खिलाएगी ।
अब तो शोख़ निग़ाहों का ख़ौफ़ जाता रहा ,
लगा के लब से ये प्याला तू आब ए जमजम कर दे ।
क़हर बनकर बरसती है चारसू मौत आजकल ,
अज़ाब ए ज़िन्दगी ही सच है किससे गिला करें ।
घर से निकले भी थे और मंज़िल ए मक़सूद भी रहे ,
फिर इत्तेफ़ाक़ ये हुआ की इश्क़ ए बेखुदी में रास्ता भटक गए ।
फिर वही शब् ए बज़्म वादे वफ़ा का ज़िक्र आया , अश्क़ आँखों में थे ।
रुस्वाई ए मोहब्बत न हो , लब पर आते आते रुक गया नाम तेरा बस ख्याल आया ।
दिल भी सियासत में आमादा है आजकल ,
रहता है मेरे जिस्म में तेरा मुखबिर बनकर ।
ज़िन्दगी गुज़ार दी जिनकी गलियों की खाकसारी में ,
अब एक आखिरी तमन्ना है मौत भी उनकी आगोश में मुक़म्मल हो ।
हम इश्क़ के मारे हैं साहेब ,
बस नाकाम ए मोहब्बत को लोग फरमाबरदारी समझ बैठे ।
इश्क़ के मारों का यही हाल रहा ,
ता उम्र भटके दर बदर सादा लिबास जीना भी दुस्वार रहा ।
हक़ीक़त ए रूदाद यहाँ कुछ भी नहीं , जुमलेबाज़ी में लगता है कोई खर्च नहीं ।
लोग काठ के उल्लू बने तकते ही रहे , अगले मौसम में खिलायेगे फसल ए गुल और कहीं ।
मतलब परस्त ज़माने में सबको अपनी ही पड़ी है ,
कौन किसके दिल को टटोले जब खुद की खाट खड़ी हो ।
हज़ार हादसे गुज़रे हर नज़ारा ख़ूबरू गुज़रा ,
गोया ख़ुमार ए इश्क़ था इस कदर फिर न कोई तुझसा रूबरू ठहरा ।
हमने खुद की हमारी कभी मुख़ालफ़त नहीं सोची ,
ताउम्र बस दूसरों के लिए फ़िक्रमंद रहे हैं ।
pix taken by google ,
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