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लोनावला का एक सूनसान बंगला जिसमे शायद ही कोई रहता हो ,
अरसे गुज़र गए इस बंगले के इर्द गिर्द कोई परिंदा भी भटका हो , वैसे ये बंगला एक बहुत बड़े फिल्म प्रोड्यूसर मिस्टर
केशवदास मूलचंदानी का है , जो की ९० के दसक के मशहूर प्रोड्यूसर हुआ करते थे , अब वो इस दुनिया में नहीं रहे ,
उनका एक बेटा है रोहित जो लंदन में पढ़ लिख कर सेटल हो गया है , इस बंगले की देखभाल करने वाला अब कोई नहीं
है सारी प्रॉपर्टी मिस्टर मूलचंदानी के मैनेजर देखते हैं , इस बंगले के रखरखाव के लिए १ नौकर और एक वॉचमैन रख
छोड़ा है ।
कट टू, रोहित अपनी गर्लफ्रेंड के साथ इंडिया आता है घूमने के लिए , वो मैनेजर से प्रॉपर्टी का मुआयना करता है , तब
उसे पता चलता है उसका एक बंगला लोनावला में भी है , वो उस बंगले में अपनी छुट्टियां बिताने का प्लान बनाता और
दुसरे दिन सुबह लोनावला पहुंच जाता , बांग्ला सजा हुआ है नौकर ने बंगले को अच्छी तरह से साफ़ सुथरा कर रखा था ,
वो बंगले का मुआयना करता है , बंगले में एक कमरा है जिसमे एक पुराना कंप्यूटर रखा हुआ था , रोहित ने नौकर को
बोला ये कंप्यूटर यहां क्यों रखा है , नौकर जवाब देता है साहेब ये कमरा आपके आने पर ही खुला है , इसके अनादर जाने
की किसी को इजाज़त नहीं थी , खैर रोहित इस बात को नज़रअंदाज़ करता हुआ आगे बढ़ जाता है , रात होती है डिनर के
बाद रोहित अपने लैपटॉप पर अपना काम करता है , वो थका हुआ रहता है काम की फाइल को डेस्कटॉप पर ही सेव करके
सो जाता है ।
सुबह जब वो सोके उठता है बेड टी पीते हुए लैपटॉप ऑन करता है , सेव की हुयी फाइल खोलता है उसमे काम की जगह
कुछ पोएट्री लिखी हुयी मिलती है , वो अपनी गर्लफ्रेंड से बोलता है नीस पोएट्री तुमने कब से पोएट्री लिखनी सुरु कर दी
मुझे अब तक बताया किन नहीं , गर्लफ्रेंड बोलती है क्या बकवास कर रहे हो मुझे पोएट्री में कोई इंटरेस्ट नहीं है , तब
रोहित को लगता है हो सकता है , कल रात थकान ज़्यादा थी दो पैग व्हिस्की के मार भी लिया था , हो सकता है फाइल
किसी और फोल्डर में सेव कर दिया हो , खैर इस बात को नज़र अंदाज़ कर देता है , और अपनी गर्लफ्रेंड के साथ बहार
घूमने निकल जाता है , फिर रात होती है वो आज डिनर बाहर से कर के लौटा है , वो सीढ़ियां चढ़ता हुआ सीधा अपने
रूम में जाता है , उसकी गर्लफ्रेंड थक कर सो जाती है , वो आज फिर लैपटॉप पर काम करता है ।
तभी उसे प्यानो के बजने की आवाज़ सुनाई देती है , उसे अच्छा लगता है , मगर वो सोचता है आस पास कोई घर नहीं है
फिर इतनी रात को प्यानो कौन बजा रहा है , वो सीढ़ियों से नीचे उतरता है , ग्राउंड फ्लोर की लाइट जलाता है , वहाँ भी
उसे कोई प्यानो बजाता नहीं दिखता है,अब वो जाकर फिर अपने कमरे में काम करने लग जाता है , तभी उसे लगता है
किस कोई कीबोर्ड से कंप्यूटर पर टाइप कर रहा है , वो एक बार फिर सारे बंगला के हर कमरों की तलासी लेता है , इसी
दौरान उसकी नज़र उस कमरे पर पड़ती है , जिसमे कंप्यूटर रखा हुआ था , ये क्या उस कमरे की लाइट भी जल रही है ,
वो लाइट बंद करता है और नौकरों को मन ही मन डांटता हुआ अपने कमरे में चला जाता है , काम को फिर लैपटॉप के
डेस्कटॉप में सेव करके सो जाता है , दुसरे दिन की सुबह होती है , दिन गुज़रता है रात होती है आज रोहित दिन भर
लैपटॉप छूटा तक नहीं है , रात में फिर लैपटॉप पर काम करने बैठता है और सेव फाइल चेक करता है , काम की जगह
उसमे पोएट्री सेव मिलती है , वो अपनी गर्लफ्रेंड से फिर पूछता है किसने सेव की पोएट्री गर्लफ्रेंड कहती है ।
तुम्हारे लैपटॉप में वायरस आ गे होगा एक बार स्कैन करलो रोहित लैपटॉप स्कैन करता है , वायरस नॉट फाउंड बताता है
अब रोहित की शंका बढ़ जाती है , की आखिर लैपटॉप में पोएट्री और रात में प्यानो आखिर कौन बजाता है , वो बंगले के
नौकर से पूछ ताछ करता है मगर वो भी कोई संतोषजनक जवाब रोहित को नहीं दे पाते हैं , रोहित बंगले के हर एक
कमरे में सी सी टी वी कैमरा लगवा देता है , और अगले दिन का इंतज़ार करता है , सी सी टी वी फुटेज जब वो देखता है
तो भौचक्का रह जाता है , ग्राउंड फ्लोर के हाल में रखा प्यानो रात १२ के बाद कोई स्केलटन बजा रहा था , और जिस
कमरे में पुराना कम्प्यूटर रखा था वो पुराना कम्प्यूटर अपने आप चालू हो गया , और एक स्केलटन का पंजा उस
कम्प्यूटर के कीबोर्ड पर कुछ टाइप कर रहा था , रोहित हैरान था की आखिर ये सब क्या हो रहा है , वो फ़ौरन उस रूम में
जाता है जहां पुराना कम्प्यूटर रखा हुआ था , वो उस पुराने कम्प्यूटर को चालू करता है , किसी तरह वो उस पुराने
कम्प्यूटर को चालू करता है , मगर उस कम्प्यूटर से उसे ऐसा कुछ नहीं लगता की उसका कनेक्शन किसी भूत प्रेत के
साथ हो , वो निराश होता है ।
वो कम्प्यूटर की हर एक ड्राइव का हर एक फोल्डर और फाइल चेक कर डालता है , की कहीं कोई सुराख़ मिल जाए ,
मगर ऐसा कुछ होता नहीं है , अब रोहित खुद उस कम्प्यूटर की रात भर निगरानी करने का फैसला लेता हैं , रात भर वो
अकेला उस कमरे में कम्प्यूटर के पास बैठता है , जैसे ही रात के १२ बजते हैं कम्प्यूटर अपने आप चालू हो जाता है ,
कम्प्यूटर की स्क्रीन पर टाइप होता है हाय रोहित , तुम मुझे नहीं जानते मगर मैं तुम्हे जानता हूँ , मैं अरविन्द मजूमदार
तुम्हारे पिता जी की फिल्मों के लिए स्क्रिप्ट लिखता था , बात उन दिनों की है जब हम एक पोलिटिकल इसु पर फिल्म
बना रहे थे , मैं यही इसी बंगले में उस समय नौकरों के साथ अकेला यहीं राइटिंग करता था , हम जिस फिल्म की
स्क्रिप्ट पर काम कर रहे थे वो ख़त्म होने वाली ही थी उस फिल्म में उस समय के बहुत बड़े नेता के भ्रष्टाचार का
भंडाफोड़ होने वाला था , मुझ पर और केशवदास मूलचंदानी जी पर काफी प्रेसर था की मुँह मांगी कीमत लो और फिल्म
का काम रोक दो , मगर न प्रोडूसर साहेब रुके न मैं माना, आखिर कार एक रात मुझे और मेरे साथ के नौकर का इसी
बंगले में क़त्ल कर दिया , और स्क्रिप्ट की फाइल को कम्प्यूटर में से उड़ा दिया गया , मूलचंदानी जी ने पुलिस कंप्लेंट
की सी बी आई जांच हुयी , मगर मामला लीप पोत दिया गया , फिल्म बीच में ही रोकनी पड़ी , और तब से मेरी आत्मा
इस बंगले में भटक रही है , रात काफी हो जाती है और रोहित वहीँ कुर्सी पर बैठा बैठा ही सो जाता है , सुबह जब उसकी
नींद खुलती है उसे सब सपना सा लगता है ।
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वो अब निश्चय कर चुका था की वो इस नेता की घिनौनी करतूत को जनता के सामने लेकर दम लेगा , और अरविन्द
मजूमदार जी की भटकती आत्मा को इन्साफ दिलाकर ही दम लेगा , रोहित को ये बात पता थी उसकी इस बात पर न
कानून न न्यायालय न भांड मीडिया कोई भरोसा नहीं करेगा , उसने नेट का सहारा लिया और सभी सोशल साइट्स पर
इस घटना का लाइव शो दिखाया , और आखिर कार सबको यकीन मानना पड़ा केस रीओपन हुआ सबूत जुटाए गए नेता
जी की तो खैर उम्र हो चुकी थी , फिर भी उनकी करतूत का खामियाजा पार्टी और उनके आलऔलाद को भुगतना पड़ा ।
the end
pix taken by google
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