कहानियाँ कुछ भी बना लो तुम sad shayari ,
कहानियाँ कुछ भी बना लो तुम ,
मोहब्बत की दास्तान एक जैसी होती है ।
समंदर की लहरों की तर्ज़ पर कहकशां करते पंछी ,
दास्ताँ ए इश्क़ की बयान बाज़ी करते होंगे ।
आबदार रहती है ताउम्र वो नज़र ,
जब भी मिलती है नज़र से नज़र दास्तान हज़ार कहती है ।
उफ़ अकेले तन्हा छोड़कर हमको वो चल दिए सुबह ,
रात के दास्तान को चश्म ए बारहा कर कर के ।
यूँ ही गुमसुम ख्यालों में ग़ुम हो किसके ,
कभी झरोखों से बाहर कोई दस्तक दे रहा है दरवाज़े पर दिल के ।
दाग दामन में लगे थे जितने ,
सर्द मिटटी से मिलके साफ़ हुए ।
जाने कब कैसे साथ मिले न मिले ,
एक उम्र भर का दाग़ देके गया जीने के लिए ।
सर्तिया इलाज़ ज़रूरी है इश्क़ ए जानिब ,
चुटुक बैदी के माथे कुछ नहीं होगा ।
मोहब्बतों के दाग़ धोने में उम्रें गुज़ार दी ,
ऐ ख़ुदा अब तेरी इबादत करें कैसे ।
गुज़रते हो इर्द गिर्द से ख्यालों की तरह ,
अब भी मोहब्बतों सा बचा कुछ है दिल में जज़्बातों की तरह ।
उकठे बैठे हैं खुद अपने रंग ओ बू से जो सिक्के ,
तेरी नज़र ए करम से अब महफिलें गुलज़ार करेगे ।
नज़रों की भाषा समझते हो कमाल करते हो ,
फिर हबीब लफ़्ज़ों की अदायगी पर क्यों सवाल करते हो ।
यहां तो रग रग दुःख रही है सियासी हुकुमरानों से ,
चंद लफ़्ज़ों में मरीज़ ए दाना की सुनवाई नहीं होती ।
बड़ी बहेला मिजाज़ हवाएं हैं आज कल ,
आती जिधर से हैं खुशबुएँ मेहबूब ए शहर से लाती है ।
दिल ए नादान की मसर्रतें एक जगह टिकती नहीं ,
दिल बेबजह बजिंदा बना फिरता है इस कदर ।
अपने नगमो में तो कम बेसी की गुंजाइश रख ,
इस दौर ए मंहगाई में भी हसरतें तेरी आस्मां छूने लगती हैं ।
pix taken by google
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