क़ातिलाना ए अंदाज़ ये अदाओं में दिल फरेबी friendship shayari in hindi,
क़ातिलाना ए अंदाज़ ये अदाओं में दिल फरेबी ,
ख़ुदा इन हसीन चेहरों की रंगीनियों से बचाये ।
सरीफ़ों की दुनिया में सराफ़त से डर लगता है ,
रंगीन लिबासों में दिल फ़रेबी जिस्मो का डेरा है ।
रवायतें हैं जो जिस्मो को सँवारने की ,
एक हाका चला के शहर ए गर्दी से दफा कर दो ।
सजते हैं रात देर तलक जाने किसके वास्ते ,
सेज़ के कुचले मिले हैं फूल एक अनजान रास्ते ।
क्या गज़ब की रवायतें हैं जिस्मो के वास्ते ,
सिंगार सजा कर फिर कफ़न उढा देते हैं मैय्यत के वास्ते ।
सज संवर के निकले हो यूँ खुली सड़क में ,
इरादा सर क़लम का है या क़त्ल ए आम करोगे ।
जिस्म ग़रूर का पुतला ,
ख़ाक ए सुपुर्दगी से ज़्यादा जिसकी औक़ात नहीं ।
उम्रें गुज़ार दीं जिस्मो को सजने सँवारने में ,
आखिरी सिंगार रूहों का एक दम से ही सादा है ।
ज़िद है तेरी माँग में चाँद तारे भर दूं ,
मगर चाँद तारों में तुझसे ज़्यादा गज़ब का नूर नहीं।
आओ की शाम ढलने लगी ,
शाम ए बज़्म में फिर ग़ज़ल रंगीन होने को है I
दाग़ बनकर जिगर में उतरा है ,
इश्क़ का रंग ज़माने भर के रंगों से गहरा है ।
सियासियों का कमाल है ,
जिनसे कुछ नहीं आता उनको मज़हबी रंगों में ढाल दो ।
जलते भी रहे तिल तिल बुझते भी रहे तिल तिल ,
हम इश्क़ के मारों का हर रंग निराला है ।
तुम तो परंपराएं निभाते गए रंगों की तरह ,
एक दिल ए नादान हमारा ही है जो रश्म ए उल्फत के सवाल को बुनता है ।
तह दर तह सवालों की रंगीन परत ,
ज़िन्दगी बर्क़ के भीतर भी मुर्दों सी बासिन्दा थी ।
वो सवालों में रंग भरते हैं ,
मेरा हर जवाब अँधेरा है ।
क्या कहोगे उसको जो मुंसिफ था मेरा ,
जब भी मिलता है मुझसे सवाल बनके मिलता है ।
दरमियाँ फासले बढ़ गए इतने ,
हमने पुछा नहीं उसने जवाब देना भी मुनासिब ना समझा ।
pix taken by google
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