ख़ुदा का ख़ौफ़ रखता दिल में गर तू sad shayari ,

1
798
ख़ुदा का ख़ौफ़ रखता दिल में गर तू sad shayari ,
ख़ुदा का ख़ौफ़ रखता दिल में गर तू sad shayari ,

ख़ुदा का ख़ौफ़ रखता दिल में गर तू sad shayari ,

ख़ुदा का ख़ौफ़ रखता दिल में गर तू ,

ये डर न होता ख़ुल्द में क्या सूरत दिखायेगा ।

 

डर के देखा है कभी खुद से भी ,

आदम ए सीरत में एक शैतान छुप के बैठा है ।

 

ग़फ़लत की तमाम ज़िन्दगी चार रुपैया खड़े दाम ,

हिसाब क़फ़स का बारा आना

 dard shayari

जीते जी मुतमईन थी एक ओहदे एक रुआब की ,

मर के एक ख़ौफ़ है रूहें बदनाम न हो जाएँ ।

 

तुम्हारे लब तड़पते हैं हमारा दिल धड़कता है ,

आहट क़यामत के आने की थी या समंदर के साहिल से कोई तूफ़ान होकर के गुज़रा है ।

 

नादानी में गिर गया होगा ,

उम्र ए कमसिन में दिल ए नादाँ सम्हाले सम्हलते नहीं

 

हम तो दुश्मन थे हमसे बेग़ैरत थी ,

दोस्तों से तो आँखें चार फ़रमाते ।

 

डर तो तब भी था ये वक़्त गुज़र न जाए ,

एक ख़ौफ़ अब भी है ये यादों का दरिया थम न जाए

 

जिन्हें आदम ए बू से डर लगता हो ,

वो आगे बढ़ कर क्या मोहब्बतों का एहतेराम करेंगे ।

 

डर लगता है तुझको आज भी खो देने का ,

जब कभी तुझको अपना बनाया ही नहीं ।

 

डरा डरा सा है हर इंसान भीड़ में तन्हा क्यों है,

महफ़िल ए रानाइयों में खुद से गुफ़्तगू क्यों है

 

आदम ही आदम की खुशियों से झुलस जाता है ,

इंसान इंसानियत के वास्ते इतना ग़मज़दा क्यों है

 

फ़िक्र रहती है अपने को अपनों की ,

साथ लेकिन कोई नहीं जाता ।

 

बुझ भी जाएँ चराग़ रास्तों के घर के चराग़ जलाये रखना ,

रोशनी घर के अंदर से निकल आये तो किवाड़ बंद करके हटका हिलगाये रहना

 

पड़ोसी गिर जाए जो गड्ढे में भीड़ जाती है ,

कोई गैर मर जाए उसी खड्डे में कोई नहीं जाता ।

 love shayari

यही गर इंसान की फितरत है ,

तब तो जानवर इंसान से बेहतर है

 

सवाल ये नहीं की इंसान ऐसा क्यों है ,

सवाल ये है इंसान इंसान के जैसा क्यों है ।

pix taken by google