ख़ुदा का ख़ौफ़ रखता दिल में गर तू sad shayari ,
ख़ुदा का ख़ौफ़ रखता दिल में गर तू ,
ये डर न होता ख़ुल्द में क्या सूरत दिखायेगा ।
डर के देखा है कभी खुद से भी ,
आदम ए सीरत में एक शैतान छुप के बैठा है ।
ग़फ़लत की तमाम ज़िन्दगी चार रुपैया खड़े दाम ,
हिसाब क़फ़स का बारा आना ।
जीते जी मुतमईन थी एक ओहदे एक रुआब की ,
मर के एक ख़ौफ़ है रूहें बदनाम न हो जाएँ ।
तुम्हारे लब तड़पते हैं हमारा दिल धड़कता है ,
आहट क़यामत के आने की थी या समंदर के साहिल से कोई तूफ़ान होकर के गुज़रा है ।
नादानी में गिर गया होगा ,
उम्र ए कमसिन में दिल ए नादाँ सम्हाले सम्हलते नहीं ।
हम तो दुश्मन थे हमसे बेग़ैरत थी ,
दोस्तों से तो आँखें चार फ़रमाते ।
डर तो तब भी था ये वक़्त गुज़र न जाए ,
एक ख़ौफ़ अब भी है ये यादों का दरिया थम न जाए ।
जिन्हें आदम ए बू से डर लगता हो ,
वो आगे बढ़ कर क्या मोहब्बतों का एहतेराम करेंगे ।
डर लगता है तुझको आज भी खो देने का ,
जब कभी तुझको अपना बनाया ही नहीं ।
डरा डरा सा है हर इंसान भीड़ में तन्हा क्यों है,
महफ़िल ए रानाइयों में खुद से गुफ़्तगू क्यों है ।
आदम ही आदम की खुशियों से झुलस जाता है ,
इंसान इंसानियत के वास्ते इतना ग़मज़दा क्यों है ।
फ़िक्र रहती है अपने को अपनों की ,
साथ लेकिन कोई नहीं जाता ।
बुझ भी जाएँ चराग़ रास्तों के घर के चराग़ जलाये रखना ,
रोशनी घर के अंदर से निकल आये तो किवाड़ बंद करके हटका हिलगाये रहना ।
पड़ोसी गिर जाए जो गड्ढे में भीड़ जाती है ,
कोई गैर मर जाए उसी खड्डे में कोई नहीं जाता ।
यही गर इंसान की फितरत है ,
तब तो जानवर इंसान से बेहतर है ।
सवाल ये नहीं की इंसान ऐसा क्यों है ,
सवाल ये है इंसान इंसान के जैसा क्यों है ।
pix taken by google
[…] https://www.pushpendradwivedi.com/%e0%a4%96%e0%a4%bc%e0%a5%81%e0%a4%a6%e0%a4%be-%e0%a4%95%e0%a4%be-%e… […]