ज़िन्दगी की जी हज़ूरी तमाम उम्र dard shayari ,

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ज़िन्दगी की जी हज़ूरी तमाम उम्र dard shayari ,
ज़िन्दगी की जी हज़ूरी तमाम उम्र dard shayari ,

ज़िन्दगी की जी हज़ूरी तमाम उम्र dard shayari ,

ज़िन्दगी की जी हज़ूरी तमाम उम्र ,

मौत दरवाज़े पर दीवान बनकर हर वक़्त खड़ी है ।

 

रोले ख़ुद के सीने पर सीना रख कर ,

पराये दर्द में भी धड़केगा दिल की रवायत में नहीं ।

 

लगा के रखा था पहरा कोई आहट न होने देगे ,

झरोखे पर मौत की दस्तक मुँह उबाए बैठी थी ।

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डर लगता है और जीने में ,

मौत के मानिंद कोई दुल्हन हसीं नहीं होगी ।

 

जब ज़िक्र छिड़ ही गया मैख़ानों में ,

कौन ज़िन्दगी को जीता है कौन मौत की परवाह किया करता है ।

 

ज़िन्दगी इस क़दर क़हर बरपा रही ,

मौत औंधे मुँह गिरेबान में छुपी शरमा रही ।

 

मौत के ख़ौफ़ से रंजिशें न हो ,

ऐसा जीना भी बड़ा बेजा है ।

 

इश्क़ ए आफत जो पड़ी है ग़ालिब ,

दर ओ दरवेश की दुआओं से न जाएगी ।

 

इश्क़ के सज़दे में सर झुकाना हो मज़हब जिसका ,

अंदाज़ ए गुफ़्तगू में ग़ालिब का न हो ज़िक़्र भला कोई बात हुयी ।

 

तू भी देख बिन पिये पैमानों की ख़ुमारी का असर ,

मस्त निगाहों में भी मौत ए शराब होती है ।

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सेकंड थर्ड हैण्ड की दरकार न रख ,

लोग रद्दी भंगार में भी जी ही लेते हैं ।

 

बढ़ के थामे जो हाँथ मदहोशी में सैय्याद ही सही ,

जो बर्बाद हो तह ए दिल से नापाक वो हरगिज़ ही नहीं ।

 

सैय्याद क्या ज़ख्म देता होगा गहरे दर्द निभाने वाले ,

मेरा सनम ए यार जो दाग़ देता है ताउम्र जलाने वाले ।

 

आशिक़ों के शहर में सैय्याद बुलाया जाए ,

जो हैं क़ाफ़िर उनको गीता और क़ुरआन सुनाया जाए ।

 

क़फ़न में लिपटा क़फ़स क्या रंग ए गुलाल ,

जिस्म लेकर भी सैय्याद किधर जायेगा ।

 

छोड़ कर दामन ए इश्क़ गर ज़िद है तेरी ,

तू किधर मैय्यत के शहर में घर बनाएगा ।

 

हाँथ छोड़ा तो किधर जायेगा ,

चैन से जी सकेगा या मेरी तरह ही मर जायेगा ।

pix taken by google