ज़िन्दगी तेरी चाकरी से थक गया हूँ मैं quotes life hindi,
ज़िन्दगी तेरी चाकरी से थक गया हूँ मैं ,
एक मुश्त तनख्वाह के एवज में जाने कितनी किश्तें चुका रहा हूँ मैं ।
ज़िन्दगी थक के सो रही है चारपाई में ,
जाने कितनी मेहनत मशक्कत में दिन बिताई है ।
ज़मीन चीख़ रही है आसमान पुकार रहा है ,
कुछ रिश्ता है लहू का लहू से जो इंसानो में अब भी दिख रहा है ।
उड़ती उड़ती ख़बर थी की शहर गाँव हो गया ,
ऊंचे ऊंचे मकानों में छोटे कद के इंसान रह गए ।
सोचो हमारे नाक़ाम ए इश्क़ के इतने चर्चे हैं ,
गोया मोहब्बत क़ामिल मिलती तो परचम सीधा चाँद पर होता ।
अब तो घर की मुंडेरों पर भी गिद्ध मंडराने लगे हैं ,
लगता है बुत ओ मुजस्सिमो के शहर में इब्न ए इंसान की बू आने लगी है ।
माँ को आवाज़ लगाओ मौसी निकल आती है ,
तभी तो हिंदी की ज़बान में उर्दू भी मिल जाती है ।
चीटिंग विथ कैमरा सियासियों की अदाकारी है ,
जानती है परदे के पीछे का माज़रा क्या है ,
जो समझे हैं आवाम को अनाड़ी है ।
ख़्वाब तो बस ख़्वाब हैं ,
कभी शहर के अंधेरों में ग़ुम तो कभी गाँव की ताज़गी में मस्त ।
मदमस्त खिड़की के झरोखों से झाँकते चितवन ,
तो कभी आँगन के पलने में किलकारी मरता बचपन ।
कभी गर्द से बेहाल दरख्तों पर बैठे परिंदों का गूंगापन ,
तो कभी लहलहाती बेलों पर फुदकती चिड़ियों का कहकशाँ ,
ज़िन्दगी कब हुयी पूरी पता ही नहीं चला ,
गाँव की पगडंडियों में दौड़ता बचपन जाने कब शहर की पक्की सड़कों में चलते चलते थक के कुम्हला सा गया ।
दौड़ती ट्रैन की पटरियों से भी पाँव में छाले निकल आएंगे ,
जान दे देगी ज़िन्दगी थक के रफ़्तार से एक दिन ।
इसी प्लेटफॉर्म में किसी ट्रैन के आगे ,
इल्म ना था पनाह माँगेगी गाँव से एक दिन चाँद साँसों की मोहताज़ ज़िन्दगी ।
pix taken by google