तबाही जिस्म तक होती तो बेजा बात न होती whatsapp status,

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तबाही जिस्म तक होती तो बेजा बात न होती whatsapp status,
तबाही जिस्म तक होती तो बेजा बात न होती whatsapp status,

तबाही जिस्म तक होती तो बेजा बात न होती whatsapp status,

तबाही जिस्म तक होती तो बेजा बात न होती ,

हिज्र इश्क़ का रूह ए तबाही है बस यही बात खलती है ।

 

ये ज़ौक़ ए आशिकी ही है जो दिलों में उजाला बनाये रखती है ,

गोया कितने चाँद डूबजाते हैं फलक में सहर आते आते ।

 

दिल में अरमानो की रंगोली सजाये बैठे हैं ,

दरकिनार कर रवायतों को नक़ाब में ही मिलने आ जाओ बंद पलकों में जुगनुओं के जलते अंगार लगाए बैठे हैं ।

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वो नासमझ क्या समझे यूँ ही उनके दांव चल रहे थे ,

वो ही नहीं हम भी बस ज़राफ़त ए इश्क़ ही कर रहे थे ।

 

जब भी हुआ इश्क़ तगड़े से हुआ ,

ये बात और है बस एक सच्ची मोहब्बत की तलाश आज भी है ।

 

कोई पूछे तो कह देना मुशाफिर था कोई भूला भटका ,

मैं भटके कदमो के अपने निशान छोड़ आया हूँ ।

 

मेरा ताल्लुक़ नहीं अब उस शहर की आब ओ हवा से ,

जिस शहर की फ़िज़ाओं में मैं अपनी सांस छोड़ आया हूँ ।

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बात हिचकियों तक भी आ पहुची ,

हमने सोचा न था बाद रुख्सत के भी वो चैन से सो न पायेगा ।

 

बड़ा दर्द था दिल में नग्मों से ग़ज़ल होती गयी ,

हमने चाहा था उन्हें वो हमारे न हुए बस आरज़ू ए यार में शायरी नज़र होती गयी ।

 

ज़राफ़त ए इश्क़ का दौर है लोग वफ़ा तलाश करते हैं ,

एक मोहब्बत से उबर नहीं पाते द्दूसरी में डूबने को तैयार नज़र आते हैं ।

 

दोनों कुनबे कब से थे खामोश बियाबान ,

चलो अब परिंदों की आमद से गुटरगूँ सुनायी तो दे रही है ।

 

ज़माने में हर मर्ज़ का इलाज़ होता है ,

बस इश्क़ के मारों को मरीज़ ए दवाखाना नहीं मिलता ।

 

सारे वादे वफ़ा वो निभा गए हमसे ,

गोया ज़माने में क्या कोई अब उनकी मोहब्बत का तलबगार नहीं है ।

pix taken by google ,

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