दिल ए फ़ितना की अना तेरे कूचे में अदा कर आये romantic shayari ,
दिल ए फ़ितना की अना तेरे कूचे में अदा कर आये ,
एक शाद ए मोहब्बत की चाह में हम खुद को फ़नाह कर आये ।
शाद ओ ग़म कुछ भी मुक़म्मल नहीं ज़माने में ,
सोज़ ए दिल को क्या रुस्वा करना ।
झील में जुगनुओं ने चाँद तारों की बारात सजा रखी है ,
चाँद खुद चलकर ज़मीन पर आने को आमादा है ।
हर एक मौसम में तुम ही तुम बसते हो ,
ये वादी ए मिजाज़ ये अब्र ओ शहर ऐसा तो न था ।
दिल ए फ़रेबी से लुटा है हर फ़क़ीर यहाँ ,
हो गया फ़क्कड तर्क़ ओ ताल्लुक को तरजीह किये बग़ैर ।
फ़क़ीर एक मुद्दे की बात कहता है ,
ख़ुदा के दर पे आया है तो ख़ाली जा नहीं सकता ।
इंसान को समझा नहीं बुतों में ख़ुदा ढूढ़ा किया ,
पत्थरों के शहर में आदम राह ए फ़क़ीरी में मरा किया ।
मोहब्बतों का सगूफ़ा दीनार नहीं ,
ख़ुलूस ए दीदा ए यार में बस उम्रें गुज़ारी जाती हैं ।
बेतक़ल्लुफ़ था तेरा आना मेरे कूचे पर ,
यूँ नाज़ुक ख्याली में ज़हमत तो उठाया न करो ।
है जिन्हें शौक़ महले दो महले क्या मीनारें खड़ी करवाएँ ,
हमें बस ज़ौक़ ए बादाकशी है यार के कूचे में मरने दो।
जो कहते हैं मैक़दे में इबादत नहीं होती ,
गोया घर बैठे रक़ीबों को याद करना छोड़ दें ।
इश्क़ न सही तिज़ारत तो न कर ,
तेरे कूचे से गुज़रा हूँ , तगाफुल किये बग़ैर ।
किताबों पर वर्क़ पोशीदा करने से होगा क्या ,
तहरीर ए ज़हन पर तेरा ही ज़िक्र ए वफ़ा होता है ।
रात की तन्हाइयों में हर शाद बदल जाते हैं ,
छेड़े कोई भी साज़ छेड़े कहीं यहाँ हर राग बदल जाते हैं ।
कुछ लफ्ज़ थे भूले भटके ,
आज फिर याद आये तो दिल ए शाद हुआ ।
शाद ए वजह भी मिल गयी होती ,
तुम जो मिल गए होते ज़िन्दगी मिल गयी होती ।
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