दिल के ज़ख्म लफ़्ज़ों में बयान करती है love quotes hindi ,
दिल के ज़ख्म लफ़्ज़ों में बयान करती है ,
शायरी शबनमी मरहम का काम करती है ।
जितनी हवाएँ शहर भर में चलती हैं ,
उससे कहीं ज़्यादा हम तेरे नाम की आहें भरते हैं ।
गैरों से बोल दो अपनों से बोला नहीं जाता ,
ये साँसों का एहसान महज़ साँसों से टोला नहीं जाता ।
गर्द हवाएँ क्या कम थीं ,
जो शहरी फिजाओं में सियासत का ज़हर घोल दिया ।
हमने तो चराग रोशन किये थे अंधेरो के वास्ते ,
जाने किस बेतकल्लुफ़ी में किसी का आशियाना जल गया ।
आजकल धड़कनें बेकाबू सी रहती हैं ,
दिल को हर पल तेरी जुस्तजू ही रहती है ।
गर्द साख़ के पत्तों को धो कर के होगा क्या ,
ज़हन के जड़ तनो को भी भरपूर पोषण चाहिए ।
जितने मश्वरे मिले बर्बादियों के बाद ,
मोहब्बत न करो कोई पहले आगाह क्यों नहीं करता ।
घडी भर भी मोहलत मिल जाती रश्म ए उल्फ़त से फ़राज़ ,
हम भी चैन ओ सुकून में उम्र ए बसर कर लेते ।
घर से निकलो तो सम्हल कर चलना ,
नर्म घाँसो के दरीचों में छुपे दिल न ज़ख्म खा जाएँ ।
आ ख़त्म करें दुश्मनी दिलों की ख़लिश अब तक ,
ज़र्रे ज़र्रे में हो मोहब्बत हो क़ायनात जब तक ।
समझने वालों ने लफ़्ज़ों की अदायगी को शायरी समझा ,
हम तो आशिक़ हैं बस इश्क़ किया करते हैं ।
नफ़रतों से तौबा कर के,
अब क्या मोहब्बतों में जान ले लोगे ।
मिटटी को दफ़नाने की ग़र रश्में न होती ,
शहर भर में जनाज़े को कब्रिस्तान ले जाने लिए काँधा नहीं मिलता ।
न ख़ुदा ही बचा न नाख़ुदा वाले ही बचे ,
बचे तो बस बुतकदों के बुत आतिशों में जलते शहर बचे ।
उफ़ ये उम्र ए दराज़ और हरकतें फ़ानी,
किसे घर को जाने की ज़ल्दी है ।
परिंदे भी पर मार नहीं सकते ज़ुर्रत किये बग़ैर ,
अस्मत उन्ही की लुटती है जिनके दर ओ दीवार में सेंध होते हैं ।
टोकरी भर के ख़रीदार कहाँ ,
ग़म ए उल्फ़त का फुटकर तो है बंधानी का कारोबार कहाँ ।
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