पर्दा उठा तू रुख़ से ज़रा जलवा दिखा तो यार romantic shayari,

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पर्दा उठा तू रुख़ से ज़रा जलवा दिखा तो यार romantic shayari,
पर्दा उठा तू रुख़ से ज़रा जलवा दिखा तो यार romantic shayari,

पर्दा उठा तू रुख़ से ज़रा जलवा दिखा तो यार romantic shayari,

पर्दा उठा तू रुख़ से ज़रा जलवा दिखा तो यार ,

माना की तेरा यार कोई और है कभी हम भी तो थे तेरे प्यार

 

दिलजलों की नज़र गर इतनी बुरी होती ,

आस्मां पर जलता चाँद कब का जल के ख़ाक हो जाता ।

 

तक़दीर का मारा हूँ बुरा वक़्त सही ,

अब भी संग खड़ा हूँ जान सख़्त सही अच्छे लोग थे साथ अब क्यों नहीं ।

 

ये जो आँखों में ग़रूर है मोहब्बत का सुरूर है ,

हर जाम के बाद दिल को थाम बस मेहबूब का नाम लीजिये ।

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लबों पर नाराज़गी के तेवर होठों पर दबी मुस्कान छुपाये ,

पान खाके आये हो बलम या हो हम पर तमतमाये

 

ये मेरी चाहत का असर है या तेरी मोहब्बत का क़हर ,

कमरे में अब भी आती है तेरे रंग ए हिना की ख़ुश्बू तितर बितर

 

एक अपनी हो ज़मीन एक अपना गगन हो ,

बस मोहब्बत हो ईमान या फिर सर पर क़फ़न हो ।

 

एक बार फिर से पुकारो तुम्हारी कसम मुर्दे में जान आ जाये ,

जान गर प्यार से जान कह दो जान,

जान से जाने की ज़िद भी ख़त्म हो जाए ।

 

बुढापे का इश्क़ था कितना चरमराता ,

चमक गयी कमर लड़खड़ाए कदम जेल की खटिया से जुड़ गया नाता ।

 

बच्चों की ज़रूरतों के बोझ से कमर झुक गयी नादानी में ,

बुढ़ापा क्या ख़ाक रोयेगा इतने आँसू बहाये हैं जवानी में ।

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परिंदे तो फिर भी रात काट लेते हैं दरख्तों में ,

पूछ यतीम बच्चों से जिनके सर पर माँ बाप का हाँथ ही नहीं होता ।

 

कौन किसके लिए जीता है मरता है यहाँ ,

मोहब्बत सरदर्द बन जाए तो दामन झाड़ लेते हैं ।

 

मरने के बाद क़ब्र पर बैठ कर मेरे निक़ाह ए नामा पढ़ रहे हैं वो ,

जो जीते जी हमारे दर से कभी नहीं गुज़रे ।

 

दोनों के हाल एक थे दोनों थे ग़मज़दा ,

दोनों की रूह ज़ख़्मी थी था खून भी ताज़ा ,

था दोनों के लब पर इश्क़ ए क़लमा लिखा हुआ ।

pix taken by google