माल मवेशी का निकबर मर गए ग्वालन के literature hindi ,

0
1280
माल मवेशी का निकबर मर गए ग्वालन के literature hindi ,
माल मवेशी का निकबर मर गए ग्वालन के literature hindi ,

माल मवेशी का निकबर मर गए ग्वालन के literature hindi ,

माल मवेशी का निकबर मर गए ग्वालन के ,

जो जल मा छुट्टा मसकत दूध ।

 

लग्गा दूती ही है सिंगार जिसका ,

बर्फ के पानी में चाहे आग लगवा दे ।

 

पानी कांजी से बचत घर कटुईंदार ,

द्वारे गोफन लाये खड़े बंद हथियार ।

 

लग्गा दूती रोज़गार दैय्या नाहर बने बलम हमार ।

 

ज़हन के फरिका से बर्केटा मार दें ,

रात से तेरी यादें पसरी पड़ी हैं गलियारे में ।

literature hindi poetry 

 

घर के सगळी दीवार डिहरान जाथि ,

लोगन का पड़ोसिन के टुचके पिचके तसली डेचकन के पड़ी ही ।

 

बिसाद खाने से रोशन है हुश्न का सिंगार अगर ,

तरकारी खटकहाई की रसोई में लजीज़ बनेगी ।

 

बिंदी टिकुली चुड़िया तरकी सिंगार सजा मनिहारी के ,

तरछन चूने पानी भागा तरछी की फूटी पिचकारी से ।

 

चाबन भर बिरहुल का बिरहुला भा नहीं ,

न सूती भर भयो दूध बाप के ज़िंदा गाँव का मोड़ा घोटायो दाढ़ी मूँछ ।

 

जब चौखट के भीतर ही हमारी मुलाक़ातें नहीं होती ,

तो फिर चौगान में आकर फाफड़ कूटने का ढोंग कैसा ।

literature hindi poetry ,

दो चार गंडों में बट गए कैसे बढ़ते परिवारों में ,

दो चार बीघा खेत फ़ज़ली आम जाने खलिहान कैसे ।

 

जेठ बैशाख के लूका मा भी गर पाला पड़िगै ,

तोहे सथरी बिछवा दूं अमुवा के छाँव तले।

 

मट्ठा न हो खट्टा अगर रसाज की कढ़ी का ,

कूचा न कपार लोढवा सिलौटी मा नोन बूक लै या मिर्च खूथ लै ।

 

ककई खीलत सांझ भई , लीख मरी न चीलर ,

सांझ अबेरी हो गयी ख़त्म करा परपंच ।

 

आपन भुगतब अपने करमे करें कौन गुरुआरी ,

जेखे टटठ में कोदई के रोटी कौन सजाये सोहारी ।

 

उन्ही पार्टी मा जाय का डिओ परफ्यूम के पड़ी है ,

यहां लू से सगळा कालेज बरा जात है ।

 

जाने कौने ठाठ उताने अहिमक लक्का तक ,

बीच सड़क हर रोज़ बिकने लुगरी लत्ता तक ।

 

ता काहे परेशान होतिस ही ,

गा है दिल तोड़ के जा तोर है ता वापस लौटबै करी कहाँ भागी गठजोड़वा छोड़ के ।

literature hindi 

pix taken by google