मुचलके चाहे जितने पेश करो 2line attitude shayri,
मुचलके चाहे जितने पेश करो,
सजा ए दिल में मेज़बान के साथ मेहमानों की भी गिरफ़्तारी है ।
फ़िज़ा की शबनमी बूंदों को चूमने की ख्वाहिश ,
फलक पे आफताब सुबह ओ शाम हर रोज़ रहा करता है ।
तुम हसीन रातों में चले आते हो रोज़ आहिस्ता ,
फिर तुमसे हसीन रात रोज़ गुज़रती है आहिस्ता ।
बदलते मौसम ने हवाओं का रुख मोड़ा है इस तरह ,
खुद सवालों ने जवाबों को लाजवाब ढूँढा हो जिस तरह ।
जहाँ दो बूँद टपके वहाँ समंदर बना दो ,
मेरे शान ए हुब्बे वतन में लहू का क़तरा क़तरा बहा दो ।
जिस तरह रज रज में हक़ है वतन परस्तों का ,
उसी तरह हुब्बे वतन भी हिन्दू मुसलमान गीता क़ुरान में फ़र्क़ करता नहीं।
ये मुल्क तुम्हारा है ये मुल्क हमारा है ,
तहज़ीब ए मुल्क़ ओ मिल्लत की हिफाज़त फ़र्ज़ हमारा है ।
दिल में है मेरे आदम ए सूरत जनाब की ,
क्या तेरा भी दिल मेरे दिल के हादसा ए वाकिया से है रूबरू ।
उम्र भर का तमाम वाकिया जो था बस हसीन लम्हा था ,
बस उसी लम्हे में फिर क्या था गुज़री तमाम रात ।
ये मुल्क़ तुम्हारा है ये मुल्क हमारा है ,
ये सदायें है चमन की यही ज़र्रे ज़र्रे का नज़ारा है ।
ये मुल्क तुम्हारा है ये मुल्क हमारा है ,
मादर ए वतन का हर एक बासिन्दा जिस्म ओ जान से प्यारा है ।
fear of deserted jungle a true horror story
ये मुल्क़ तुम्हारा है ये मुल्क़ हमारा है ,
हो आपस में भाईचारा यही पैगाम हमारा है ।
रात गर सोने का दस्तूर नहीं ,
शहर भर के उजालों को आँखों का मेहमान कर लो ।
जाती हों जितनी भी जाने जाएँ ,
हर जन्म में मेरे लहू का क़तरा क़तरा मेरे हुब्बे वतन के काम आये ।
जिस तरह मज़हबी वादों विवादों में मेरा हुब्बे वतन हर रोज़ जलता है ,
देख कर खून अपनों का सहीदों की सहादतें भी हर रोज़ रोती हैं ।
pix taken by google