ये ज़ौक़ ए शायरी ही है जो रातों को तन्हा सोने नहीं देती whatsapp status,

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ये ज़ौक़ ए शायरी ही है जो रातों को तन्हा सोने नहीं देती whatsapp status,
ये ज़ौक़ ए शायरी ही है जो रातों को तन्हा सोने नहीं देती whatsapp status,

ये ज़ौक़ ए शायरी ही है जो रातों को तन्हा सोने नहीं देती whatsapp status,

ये ज़ौक़ ए शायरी ही है जो रातों को तन्हा सोने नहीं देती ,

गोया कौन कमबख्त जागता है तन्हा इश्क़ में बर्बादियों के बाद।

 

ज़ौक़ ए इश्क़ गुलों में तरावट बनाये रखता है ,

रेज़ा रेज़ा गुंचे भी बिखर जाते हैं उम्र ए दराज़ के साथ ।

 

ज़ौक़ ए इश्क़ में हर बार नए पैंतरे बदल ,

रूबरू होता है हर बार जमाल ए यार नए नाज़ ओ नखरे के साथ ।

 

ज़ौक़ ए इश्क़ में तड़पते रहे हम ,

दर बदर हर रोज़ नयी इज़हार ए आशिकी के बाद ।

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ज़ौक़ था फ़लक़ में चाँद तारे सजाने का ,

अब तो शब् ए हिज्र चाँद तारों में हर रोज़ कटती है ।

 

उफ़ शहर ए दिल का मिजाज़ उसपर शायरी का फ़न ,

गोया आशिक़ खुद बा खुद क़त्ल न हो तो ख़ुदकुशी का इंतेज़ाम ही कर लें ।

 

शहर ए दिल में रवायत थी जलने की ,

कभी खुद बुझे कभी आशियाना फूंकते निकले

 

शहर ए दिल में शायरी का जोश ,

चराग़ बुझते नहीं और सवेरा होने को है ।

 

लुटा लुटा है शहर मेरा ज़ौक़ ए शबाब खाने में ,

कोई क़ाफ़िर ही बचाये बुतों को मैखाने में ।

 

क्या क्या नमूने पाल रखे हैं ज़ौक़ ए जमाल ए यार ने ,

कुछ बन गए लतीफे कुछ सुख़नवर कमाल के ।

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रोया बहुत था मगर रूख़्सती के बाद ,

गोया जमाल ए यार में शबाब बेशुमार आया है ।

 

बड़ा हसीं हसीं लगता है हर उस शाम का मंज़र ,

जब ज़ीने से ढलती धूप तेरी ज़ुल्फ़ों में ठहर जाती है ।

 

भूलते हैं कुछ लतीफ़े सुर्ख सफक वीराने के ,

मुझको मेरी तन्हाईयाँ तो मुँहज़बानी याद हैं ।

 

ट्रैन की सीटी के साथ माँ का आँचल छूटते देखा ,

जहाँ तक पहुची नज़र बेटे की माँ को सामने खड़ा देखा ।

 

उन आँखों से आँसू नहीं मोती टपकते हैं ,

जिन माँओं के बच्चे घर पर नहीं परदेश में बसते हैं ।

pix taken by google