रक़्स आँखों के जिनके टिकते नहीं sad shayari ,
रक़्स आँखों के जिनके टिकते नहीं ,
कैसे हसरत ए यार की परवाह करें ।
सुकून मिलता नहीं स्याही की कालिख़ पोछ कर मुझको ,
तो खाली पन्नो पर ज़िन्दगी की इबारतें उरेख देता हूँ ।
किसी रात सोले किसी का होले ,
कब तलक नाबाद सवेरे का इंतज़ार करेगा ।
रात तो चलती है बस शायरों की महफ़िल में ,
सुबह को फिर एक नाबाद सफर लेके सो जाती है ।
मेरा साया भी मुझसे दूर चले ,
मेरे साये से भी आदम ए खूँ की बू आती है ।
ख़ुदा करे एक तेरा जहाँ आबाद रहे ,
हम तो वीरानो में घर बसा लेगे ।
गनीमत समझ जो दर पे तेरे सवाली बनके खड़ा है ,
ये वो शख्स है जो इश्क़ के क़तरे शहर भर को उधारी में बाँट रखा है ।
इश्क़ खुद किसी बुलंदी का मोहताज़ नहीं ,
इश्क़ के दम से है हर सै सारे जहाँ का कारोबार चले ।
मतलब परस्तों की दुनिया है साहेब ,
यूँ घड़ी घड़ी डायल टोन बदलना छोड़ दो ।
जहाँ भर की मोहब्बतों का वास्ता तुझको ,
मुझको भी मेरे हाल ए दिल की सुपुर्दगी कर दे ।
मिजाज़ उनका गुलों से पोसीदा ,
जाने कौन सा गुल उजड़े जाने कौन सा चमन खुश्बुएं आबाद करें ।
रात का सफ़र तन्हा बड़ा लम्बा है ज़फर ,
खिड़की पर चाँद के बहाने ही आके तफरी कर लें ।
अंजुमन में सुन साज़ ए दिल की भी रुन झुन ,
जब कभी गुलों के तार छिड़ा करते हैं ।
अंगूर की बेटी है बड़ी देर तलक असर करती है ,
दो नज़रों की मैकशी है शाकी जो बूढ़े को जवान करती है ।
जाने किस ग़ुमान में उड़ा फिरता था मैं ,
मालूम न था मेरे मरने पर मेरे अपने भी जश्न मनाएंगे ।
इश्क़ के बेरोज़गारों की तादाद में सुमारी है ,
हुश्न वालों के मोहल्लों में चिलमन चौक बनाया जाए ।
मैदान ए जंग हो या दौर ए शायरी ,
फनकार के जौहर हर दौर में पुरज़ोर चले ।
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