लबों में तिश्नगी दिलों में दीदार ए यार की फ़िक़्र good morning shayari,
लबों में तिश्नगी दिलों में दीदार ए यार की फ़िक़्र ,
सुकून ए दौर में हिज़ाबों की बात होती है ।
इश्क़ का दरिया है साहेब ,
जो जितना गहरा डूबेगा वो उतना लंबा जायेगा ।
ज़माने की भीड़ में कहकशां तो बहुत हैं ,
कानों में घोल दे वो सुखन कि बस चैन की नींद आ जाये ।
पल भर में गवाँ देगा उम्र भर की कमाई ,
ये इश्क़ की बीमारी कम्बख़्त लाईलाज़ है ।
बर्दास्त की हद होती है ,
जब श्याम स्याह रातों में सुकून ए दिल को चाँद की तलास होती है ।
बड़ी खूबसूरती से सजाये बैठे हो मयख़ाने में सुकून ए शबाब ,
दो ज़ाम छलक जाए तो बहार आ जाये ।
यहाँ मैं खुद से बात करता हूँ वहाँ चाँद तारों में रात कटती है ,
यहाँ विसाल ए यार नहीं मिलता वहाँ शब् ए बरात हर रोज़ सजती है ।
सुकून देता है तेरा ख़्वाबों में आना जाना ,
जागती आँखों से तेरा अफ्ताबी हुश्न देखा नहीं जाता ।
सुकून मिलता अगर गुलों को मखमली बिस्तर में ,
वतन परस्तों के लिए रोज़ यहां काँटों की सेज़ न सजती ।
ता उम्र कितनी जद्दोज़हद में जीते हैं लोग ,
गोया एक सुकून कि नींद भी मयस्सर नहीं होती ।
देखा है हमने भी इश्क़ ए ऐवज़ का असर ,
बस एक गलती कि ख़ातिर दिल खामियाज़ा ता उम्र भरता है ।
जितनी ग़फ़लतें थीं पाले बैठे थे ,
वो लौट कर आएँगे बस इसी उम्मीद में दिल सम्हाले बैठे थे ।
माना कि हर शक़्स एक सज़ा का हक़दार होता है ,
दिल ए नादान कि गलतियों ने भी गज़ब का ज़ुल्म ढाया है ।
किसी दौर में लहरों के साथ बहती नहीं थी मोहब्बत ,
आज भी नफ़रतों के खिलाफ जंग ज़ारी है ।
लोग कहते हैं मोहब्बतों कि उम्रें हो गयीं साहेब ,
यहाँ दौर ए उल्फ़त के पैगाम कब बैरंग जाते हैं ।
न होते नशे में शहर भर के नशेमन तबाह कभी,
इश्क़ को ग़र इश्क़ ही रहने देते ।
हमसे दुश्मनों से नफरत होती नहीं ,
लोग जाने कैसे माशूकों पर वार करते हैं ।
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