वादों की दलीलों के बस दायरे में न जा urdu love ,
वादों की दलीलों के बस दायरे में न जा ,
कुछ अंदाज़ ए गुफ्तगू का भी तह ए दिल से एहतराम कर ।
महज़ दिलों का फितूर है और कुछ भी नहीं ,
लोग ख़्वामख़्वाह इश्क़ में फनाह हुए जाते हैं ।
कहने को मुक़म्मल थे दोनों जहान मेरे ,
पर तू नहीं था ग़ालिब कहीं तो तेरे ख़्यालात नहीं थे ।
जब सारा शहर था जश्न ए रोशनी में गुम ,
एक हम ही डूबे रहे अंधेरों में तन्हाईयाँ तलाशते ।
गुलों की फ़ितरत में है महकना ,
जश्न ए महफ़िल हो मातम हो या कोई और बात हो ।
जिस्म से रूह तलक बावस्ता है ,
मैं मुर्दा हूँ तेरा इश्क़ मुझमे ज़िंदा है ।
अधूरी बात के अफ़साने अधूरे से ,
हर एक रात के पहलू में कुछ ख्वाब पुराने से ।
इश्क़ की गिरफ्त में है ग़ालिब ,
गोया हमारे भी शेर ओ सुखन के कभी परवाज़ देखना ।
ग़ालिब तो बस बदनाम हुए शायरी कहकर ,
गुलों ने खुद खुश्बुएं बिखेरी हैं मोहब्बत का क़ासिद बनकर ।
गुलों की औक़ात क्या माली की जात क्या ,
खुशबुओं को क्या कोई रोक पाया है चमन गुलज़ार करने से ।
देखे हैं ज़माने भर में जाम ए मैकशी के असर ,
कुछ भटके हुए शायर कुछ गुमराह बेकदर ।
जो सोचते हैं हम क्या किया करते हैं ,
कोई बताये उन्हें बस ग़ालिब की ख़्याली बेख्याली में किया करते हैं ।
शब् ए माहताब दाग़ की परवाह किसे होती है ,
फितूर ए दिल को बस दीदा ए यार की जुस्तजू होती है ।
मोहब्बत के दिनों में गिले शिकवा नहीं करते ,
जा तुझको बेवफा तेरे वादे वफ़ा से भी आज़ाद कर दिया ।
कल तक वो हमारे रक़ीब हुआ करते थे ,
आजकल वो बस हरदिल अजीज़ हुआ करते हैं ।
love poem in hindi for husband
किसी शायर ने क्या खूब कहा है ,
जिसको किया है नूर ए नज़र वही पलकों को आँसू भी दिया है ।
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