शबनमी बूदों से ख़लल होती है romantic shayari,
शबनमी बूदों से ख़लल होती है ,
सबा ए गुल से कह दो कहीं और अपने रंग ओ बू की शिरकत रखें ।
कहाँ ये वादियां ए मौसम ये जश्न ए रानाई ,
अब तो दिल में दूर तलक खिज़ा ए खार बिछा है ।
उनसे मिलकर के दिल बग़ावत पर आमादा है ,
खबर किसी को नहीं कब कहाँ खिलाफ हुआ ।
इश्क़ की गलियों में कितने बेज़बान निकले थे ,
खबर उन्ही को नहीं कहाँ दिल हलाल हुआ ।
मैक़दे में रात गुज़री सर पर तेरे इल्ज़ाम आया ,
आज फिर घर से निकला था तौबा करके ,
लब पर सनम का नाम आया।
आज की रात बेतहाशा गुज़री ,
जाने कब कहाँ दिल ए नादान तमाशाई हुआ तमाशा करके ।
दौलत ए इश्क़ से नायाब होगा क्या ,
मुद्दतों की ख़ाक़सारी में राहत ए दिल कहाँ नसीब होता है ।
कौन है अपना पराया जानता है ,
शेरनी के खूंखार जबड़ों में भी शावक महफूज़ होते हैं ।
हल्की फ़ुल्की सी एक कविता कहना चाहता हूँ ,
मैं इंसान के लिबास में इंसान रहना चाहता हूँ ।
जितनी किताबें पढ़ी सब खाली निकल गयीं ,
वो अक्षर काले मोटे दुबले पतले सब स्याही निकल गए ।
ऊपर वाले ने भेजा था हमें किस लिए और हम क्या निकल गए ,
इंसान तो बन न सके जानवरों से भी ज़्यादा वहशी दरिंदे निकल गए ।
शर्म धोके चेहरे की नाली के पानी में गन्दगी निगल गए ,
एक इंसान तो अब न सके हम बस जुस्तजू ए आदमी ही रह गए।
ओ जान लेने वालों कभी एक बार ज़रूर सोचना की ,
चन्द रुपयों के लिए तुमने कितनी ज़िन्दगानियां बर्बाद कर दी ।
मरने को तो कुछ लोग मरे , पर उनके साथ जुड़ा हर एक इंसान मर गया ।
ये रक्तरंजित हाँथ लेकर ऊपर वाले के पास कैसे जाओगे ,
और अपने पीछे विरासत में अपने बच्चों को क्या देके जाओगे।
एक बार ज़रूर सोचना देना है तो किसी के चेहरे में मुस्क़ान देकर के देखो ,
अपने आप को दुनिया का सबसे खुशनसीब पाओगे ।
pix taken by google
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