सिझ रहे हैं अरमान गर्म जिस्म की सिगड़ी में bewafa shayari ,
सिझ रहे हैं अरमान गर्म जिस्म की सिगड़ी में ,
सर्द रातों में दिल की आँच एकदम बराबर है ।
गर मोहब्बत पहली मर्तबा में मुक़म्मल हो जाती ,
लोग आईने में आशियाना बना लेते ।
शब् ए जवानी में रंग भर दें ,
चाँदनी रातों में ज़ुल्फ़ों का साया करके ।
मेरी हर रात पर बस रूहों का कब्ज़ा है ,
सुबह को मेरे शेर भी मेरे पास में नहीं होते ।
कहते हैं कलम में इक आग है जो कभी बुझती नहीं ,
दिल में खुशनुमा दाग है मोहब्बत का ,
बस उसे स्याही से रोज़ धोता हूँ ।
नगमे बनकर फिर ख्वाब उभरते हैं अश्क़ों में ,
शायद इसीलिए मैं अब तलक पूरी तरह से मैला हूँ ।
तुम तो नज़रों में दिलों से खेल लेते हो ,
मेरा बोलना भी ज़हर हो जाता है ।
बिस्तर की सिलवटें बदन की अकड़न ,
गम ए दौरान वर्जिश दिल बड़ा तंदुरुस्त रखती है ।
गम ए दौरान जल के ख़ाक न हो जाएँ सेहर होने तक ,
दिल के अरमान बड़े नाज़ुक है सर्द रातों में ।
लबों पे गुज़ारिश है , है दिल में इल्तेज़ा ,
जिसका भी रहो बनके सारी उम्र भर रहो ।
मुझसे मेरी मोहब्बत का मसीहा सवाल करता है ,
बोल तेरे दिल के जलते अरमानो को बुझाऊँ कैसे ।
गम ए दौरान गर्दिशों ने छेंका बहुत ,
हम उल्फतों के शिकंजे से छक छका के छट गए ।
गम ए दौरान जलती चिताओं के लुआठे ,
हम छक छका के रूहों को बचा के ले गए ।
दो चार बूँद और डाल गगरी में ,
शाकी सारा का सारा समंदर आज प्यासा है ।
लौट के आ गए जनाब फिर से महफ़िल में ,
अब न जाने किसका घर बार उड़ा के जायेगे ।
खींच के बैठ जा कुर्सी तू मेरे सिरहाने में ,
तू भी साथ मेरे ठिठुरे जो सारी रात,
तो मुझको मेरी रूहों को सुकून मिले ।
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