हादसा होता तो न लब से लगाए फिरता love shayari ,

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हादसा होता तो न लब से लगाए फिरता love shayari ,
हादसा होता तो न लब से लगाए फिरता love shayari ,

हादसा होता तो न लब से लगाए फिरता love shayari,

हादसा होता तो न लब से लगाए फिरता ,

ये वाकिया ए मोहब्बत इस क़दर हद से ज़्यादा हुआ ।

 

वक़्त से पहले ही होती है अब फ़िराक़ ए सबा ,

सुबह से पहले का आलम भी कुछ जुदा सा हुआ ।

 

जाने क्या नाम दिला देते हैं ज़माने वाले ,

आज देखा जो अंजाम ए वफ़ा का हरसू ,

तब्दीलियत ए ज़फ़ा का फिर खुलासा हुआ ।

 

उसकी यादों ने भी क्या ग़ज़ब का सितम ढाया है ,

जिस अजनबी मुशाफिर से हमने अमूमन ही दिल लगाया है ।

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दौलत ए ख़ुल्द क्या उसे कंगाल करे ,

दौलत ए इश्क़ जिसको मालामाल करे ।

 

भरे थे रंग हमने वफ़ाओं के ,

खिज़ा ए गुल को नागवारा गुज़रा ज़फाओं का नाम दे डाला ।

 

दरख़्तों के ज़र्द पत्तों ने भी दम तोड़ दिया ,

ज़मीनी दर ओ दीवार क्या अब्र ओ हवाओं का ऐतबार करें ।

 

सब्ज़ बागों की किसे दरकार यहाँ,

हम तो ज़र्द पत्तों में भी दिल ए आशनाई का पैग़ाम लिखा करते हैं ।

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सूखे गुंचों का रंग ए जुदा हो लाख सही ,

फसल ए गुल की नश्ले जुदा हो मुमकिन ही नहीं ।

 

खिज़ा के मौसम में फसल ए गुल खिलायेगे ,

ज़र्द पत्ते भी उनकी चापों पर विसाल ए यार के गीत गुनगुनायेंगे ।

 

कभी आग जलती है कभी धुआँ उठता है ,

अब तो रंग ए खून से आह का फुवां उठता है ।

 

फर्श में दरिया अर्स पर नीला आस्मां सजाया होगा ,

तब कहीं जाके ख़ुदाया तेरी आँखों को इतना नूरानी बनाया होगा ।

 

किश्तियाँ ही जाने नीले समंदर का मिजाज़ ,

शब् ए महताब खाली अक़्स ही तो बनता है ।

 

सात समंदर के दिन रात गोते लगाकर ,

शब् ए माहताब कोई चाँद कैसे जलता है ।

 

दरमियानी रातों में नीले आसमानो से उतरते हैं फ़रिश्ते कई ,

जो सुनाते हैं हर रोज़ परियों की दास्तानें नयी ।

pix taken by google